बेटी की विदाई पर पिता के मन के भाव
बेटी की विदाई पर पिता के
मन के भाव
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मेरी दिली इच्छा थी कि मेरी
बेटी हो और प्रभु ने मेरी इच्छा
पूरी की एक नन्हीं परी(नाम)
को हमारे जीवन में भेजकर,
मैं हर पल, हर क्षण में खुश
रहता हूं उसे देख कर!!
💝💝💝💝💝
काली-काली आंखें और
मधुर मुस्कान लिए,
साथ में अपने प्रभु का
वरदान लिए,
परिवार के हर सदस्य को
जोड़ने वाली मोतीयो
की लड़ी हो गई ,
लाडो पता ही नहीं चला
तुम कब बड़ी हो गई!!
💫💫💫💫💫
तुतलाती, इठलाती,
छम-छम पायल बजाती,
अपनी खुशबु से घर-आंगन
को महकाती,
थोड़ी सी नखराली थोड़ी
नकचड़ी हो गई,
पता ही नहीं चला लाडो तुम
कब बड़ी हो गई!!
🎊🎊🎊🎊🎊
अपनी हर बात मनवाने वाली
अब हर रीत निभाएगी,
प्रीत के इस बंधन को दिल से
अपनाएगी,
दो परिवारों के बीच की कड़ी
हो गई ,
पता ही नहीं चला लाडो तुम
कब बड़ी हो गई !!
🎉🎉🎉🎉🎉
होली में गालों को गुलाबी
करने वाली ,
अब महावार से पैरों के छापे
बनाएगी,
ग्रहप्रवेश से ही ससुराल के
रंग में रंग जाएगी,
प्यार भरी बारिश की झड़ी
हो गई ,
पता ही नहीं चला लाडो तुम
कब बड़ी हो गई!!
💐💐💐💐💐
खुश रहना और खुशियां
बिखेरना ,
जो मायके को प्यार दिया वही
ससुराल में सभी को भी देना,
सबको है निभानी
इस जग की है ये रीत
एक बेटी से गूंजे दो घरों में
संगीत ,
देखो बिदाई की करीब आ गई
शुभ घड़ी,
लाडो सच में आज तू हो
गई बड़ी!!
🤗🤗🤗🤗🤗
नजरों से दूर रहोगी पर
रहोगी हमारे दिल के पास ,
और सदा रहेगा तुम्हारे साथ
हमारा आशीर्वाद!!
🙏🙏🙏🙏🙏
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💜बेटियों की उड़ान💜
मेरी लाडो,
रंग-बिरंगी खूबियों से
भरपुर मेरी तितली,
तुम उड़ान भरो
भ्रम तोड़ दो की
तितलियों की उड़ान
छोटी होती है ....😍
तुम नाप सकती हो
पुरी धरती ,
तुम छू सकती हो
आसमान,
तुम सिखाना ,
तुम दिखाना,
तुम बताना,
सभी को....
तुम धाकड़ हो,
कैसे सपने बुने जाते है
कैसे पूरे किए जाते है,
कैसे अपनी कोमलता
अपनी मधुरता के साथ,
तुम अपनी यात्रा अपनी
पसंद से अपनी इच्छा से तय
कर सकते हो,
तुम कर सकती हो,
तुम बढ़ सकती हो,
तुम बुलंदियों को छू
सकती हो,
ये तुम्हारे पर है,
तुम उड़ सकती हो!!
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💚पापा की परी💚
लाडो तुम्हारा क्या
कहना,
तुम तो हो परिवार का
गहना,
तुम्हारे जन्म पर दादा ने
ढोलनगाड़े बजवाए थे,
दादी ने पूरे मोहल्ले में
लड्डू बटवाए थे,
मामा-मामी ,चाचा-चाची
सब भागकर देखने तुम्हें
आए थे,
मां के जैसी आंख,
मासी के जैसी नाक ,
नानी-दादी के जैसा गोरा
रंग,
तुम्हे देखकर सब
अपनी-अपनी
अटकलें लगा रहे थे,
तुम्हे गोद में उठाकर
प्यार बरसा रहे थे,
जन्म से ही मेरी नन्ही परी
तुम्हारी मंद-मंद
मुसकुराहट सभी
को अपना बनाती चली गई,
पता ही नहीं चला तू कब
छोटी से बड़ी हो गई,
खिलौने से खेलने वाली
कॉलेज जाने लगी,
अपनी हर बात प्यार से
मनवाने लगी,
अब सुसराल के आंगन की
रौशनी बन जायेगी,
प्रेम रूपी दीए की बाती बन
जाएगी,
हल्दी-मेहंदी की शुभ घड़ी
करीब आ गई,
पता ही नहीं चला तु कब
छोटी से बड़ी हो गई,
ऐसा लगता है अभी तो आई
थी मेरी गोद में लाडली
बिटिया,
लेकर अपने साथ ढेर सारी
खुशियां,
अब हाथो में पिया के नाम की
मेंहदी रच गई,
मंगल विदाई की
घड़ी आ गई,
पता ही नहीं चला तु कब
छोटी से बड़ी हो गई,
अपने छोटे-छोटे हाथों में
लेकर फुलझड़िया जलाती
थी,
रंगो से होली पर सबको
भीगाती थी,
अब ससुराल के रंग में
रंग जायेगी,
छोड़कर बाबुल की गलियां
नए आंगन को तु सजाएगी,
हम सब को तु याद बहुत
आयेगी,
किसी की सखी, किसी की
गाइड, उस घर की भी
बेटी बन जाएगी,
अपने संस्कारों से हमारा
मान बढ़ाएगी,
रिश्तो को जोड़ने वाली
मजबूत कड़ी हो गई,
पता ही नही चला कब बेटी
छोटी से बड़ी हो गई!!
Shandar
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