🙏रातीजगा 🙏सभी देवी-देवता के गीत 🙏
By Sandhya Maheshwari
Sendhwa | Indore
🙏गणेशाय नमः🙏
गणपति सुमरू शारदा
उमा सहित महेश,
देवता के गीत में कहूं
सतगुरु के उपदेश!!
🙏🙏🙏🙏🙏
रातीजगा में पाठ पूजा की
संपूर्ण जानकारी एवं
रातीजगा के गीत🙏
रातीजगा कब दिया
जाता है एवम् विधि -
घर के बड़े बुजुर्गों से प्राप्त
जानकारी के अनुसार
अलग-अलग जगहों पर रातीजगा की विधि थोड़ी
बहुत अलग प्रकार की भी हो
सकती है तो आप अपने घर
की परंपरा के अनुसार एवं
अपने घर के बड़े बुजुर्गों से
इस संबंधित जानकारी ले ले ,अधिकतर चैत्र ,वैशाख ज्येष्ठ ,भादवा ,आसोज की नवरात्रि एवं माघ के महीने में दिया जाता है किंतु यदि
बोलवा, ग्रह प्रवेश ,शादी विवाह , जडूला या और भी
ऐसे प्रसंग हो जिनका
रातीजगा लगता है तो उनके
लिए विशेष महीना वार या
तिथि की आवश्यकता नहीं
है, किंतु श्राद्ध पक्ष में
रातीजगा नही लगता है यदि
बोलवा का रातीजगा है तो
आप किसी भी महीने के
शुक्ल पक्ष में दे सकते हैं जो
लोग प्रतिवर्ष रातीजगा
लगाते हैं वह वर्ष
के चार महीने चेत्र ,भादवा,
आसोज ,माघ के महीने की
नवरात्रि में लगाए, यह महीने
सबसे उपयुक्त एवं पवित्र होते
हैं, या फिर अपने परिवार के
बड़ो से जानकारी ले,
पितर देवता का रातीजगा
चौदस की रात को दिया
जाता है एवं अमावस
को धूप लगती है!!
सामग्री -
एक बाजोट, सफेद कपड़े,
लाल कपड़े ,इत्र ,गुलाब के
फूल ,अगरबत्ती, कच्चा दूध,
गेहूं की मुट्ठी,
गोमूत्र ,गंगाजल, चंदन,
रूई, दीपक मिट्टी का,
पताशे,मिठाई ,नारियल
पानी का एक, बिना पानी का
एक, नागर बेल का पान,
चावल एक कटोरी, रवा एक
कटोरी, एक कटोरी घी,
गुड़, पुरुष हो तो पुरुष के
कपड़े स्त्री हो तो
स्त्री का बेस श्रंगार के साथ,
मेहंदी , रोली-मोली ,सभी
सामग्री को पाटे पर रखा
जाता है फिर पूजन करके
देवी-देवता के गीत गाए जाते
हैं !!🙏🙏
रातीजगा कैसे दिया
जाता है एवं रातीजगा में
कौन-कौन से गीत गाए
जाते हैं-
रातिजगा में घर की सफाई
करके गंगाजल या गौमूत्र के
छीटे दे कर स्थान को पवित्र करें,
पाटा लगाए , सभी देवी
देवता से पधारने का आग्रह
करें, जहां पाटा लगाया जाता
है वहा लिपना , पाटे पर
लाल रंग का वस्त्र बिछाकर
गेहूं की ढेरी बनाएं उस पर
दीपक रखें ,यदि आपके यहां
हनुमान जी , भेरोजी,
मामाजी आदि देवताओं की
विशेष पूजा है तो दो दीपक
एक तेल का एवं एक घी का
लगाएं जल का कलश रखे,
कुलदेवता को रोली ,मोली
चढ़ाएं उनको मेहंदी से नौ-नौ
बिंदी लगाकर मेहंदी का
झूला डाले , उपरोक्त सभी
चीजों भोग लगाएं ,नारियल
चढ़ाएं ,जोत ले पूरे घर में
जोत फिराय ,इस वक्त जल
की छाट नहीं दे, पित्र पाठ के
बाद ही जोत देकर छाट
लगाएं ,महिलाएं लाल-पीले
वस्त्र चुनरी इत्यादि पहने
इससे कुल देवी-देवता
प्रसन्न होते हैं गंगाजल से
स्थान को पवित्र करें, जाजम
बिछाए एक थाली में
स्वास्तिक बनाएं, थाली में
कुमकुम ,मौली ,अक्षत ,फूल
और इत्यादि ले,
कुल देवता को चढ़ाने के बाद
जो मेहंदी है थाली में ले ,
जाजम पर जल एवं कुमकुम
छिडके ,जाजम को प्रणाम
करें और उस पर विराजमान
होकर गीत-भजनों की
शुरुआत करें,
जब तक गीत चलते हैं तब
तक देवता पैर के अंगूठे पर खड़े रहते हैं गीत गाने के बाद
देवता को विदा किया जाता
है, और सुबह धूप के समय
फिर उन्हें बुलाया जाता है,
रातीजगा के गीत में बीच में
उठते नही है , जोत देकर
देवी-देवताओं को छांट
दिलाने के बाद ही जाजम से
उठते हैं उसके बाद मेहंदी का
गीत गाते हैं मेहंदी लगाते हैं, बाद में प्रभात के गीत गाते हैं,
रातीजगा में पहले
जिसका रातीजगा हो वह
पूजा करते हैं फिर बाद में सब
परिवार के करते हैं,
अगर पितर देवता का
रातीजगा होवे तो पहले पांच पीतर जी के गीत गावे अगर
ब्याव शादी का रातीजगा हो
तो पहले माताजी के गीत से
शुरू करें,
बाकी सभी प्रक्रियाएं लगभग
एक जैसी ही होती है,
रातीजगा में सर्वप्रथम जाजम
और कंकू पत्री गीत गाया जाता है इसके बाद कुलदेवता
इष्ट देवता आदि गीत गाए
जाते हैं पांच गीत होने पर
दिवला का गीत गाया जाता
है, सभी देवी देवता के गीत
गाने के बाद पितृ पाठ दी
जाती है फिर मेहंदी का गीत
गाया जाता है मेहंदी लगाते
हैं बाद में प्रभात के गीत गाते
हैं!!
अगर आपके यहां पर थोडी
कुछ अलग विधि हो तो आप
भ्रमित ना होते हुए अपने घर
के बड़े बुजुर्गों से जानकारी ले
एवम् उनके अनुसार करे !!
🙏🙏🙏🙏🙏
पितरजी का गीत -1
पितर जी आया म्हारी अलीयाजी गलियां तो फूल बिखरू चंपा की कलियां मारे पितर जी आया म्हारे गाया रे गवाड़े गाया म्हारी गोरा बाजार जाया जी दर्जी आया म्हारे दे सारे वादे हमेशा मारा भोला बड़ा जयाजी पिताजी आया मारी बहू आर्यभट्ट ने बहुवा मारी लाडन बेटा जाया जी पितर जी आया मारी थी एड्रेस आपने सुधीर तुम्हारी धर्म रोहित आज आया जी पितर जी आया मारी राम रसोया तो ता ता ता ता भोजन जियाजी पिताजी आया मारे रतन परिंदे तो ठंडा ठंडा पानी पी लो जी भूखा भूखा आओ मारा पितरा झूठ घर जाओ जी मारे चौदस के दिन आओ म्हारा पीरजी हमारे घर जाओ उधो उधो पर आवारा पितर खेम कुशल घर जाओ जी म्हारे पितर जी आया तो अपनी बारी रो वंश आओ जी मारे कौन जी रा बेटा तो कौन जी रा पोता कौन सी मायड़ के उदय लोटिया जी ससुरा जी का बेटा तो दादा जी का पोता सुगनी मायड़ के पौधे लोटिया जी
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पितरजी का गीत -२
पितरजी आया म्हारी अलीयाजी गलिया तो फूल बिखेरु चम्पा की कलिया म्हारे पितरजी आया म्हारे गाया रे गवाड़े, गाया म्हारी भूरा बाछा जाया जी म्हारे... पितरजी आया महारे भैसा रे गुवांडे, भैसा म्हारा भूरा पाड़ा जाया जी म्हारे... पितरजी आया म्हारी बहूआ रे ओंबट ने, बहूआ म्हारी लाइन बेटा जाया जी .... पितरजी आया म्हारी धीयड़ रे ओबट ने, तो धीयड़ म्हारी धर्म दोयता जाया जी। पितरजी आया म्हारी राम रसोया तो, ताता ताता भोजन जीम्या जी.... पितरजी आया म्हारे रतन परिड़े-तो, ठंडा ठंडा पानी पीयो जी म्हारे.... भूखा भूखा आओ म्हारा पितरा, तो जीम चूट घर जावो जी म्हारे। टेक चौदस के दिन आवो म्हारा पितर, अमावस्य को थारे घर जावो। म्हारे... उधो ऐ उधो कर आवो म्हारा पितर, खेम कुशल घर जावो जी म्हारे। टेक पितरजी आया तो अपनी बाड़ी रो वंश बधाओ जी म्हारे। टेक
कौन जीरा बेटा तो कौना जीरा पोता कुनसी मायड के ओदे लौटिया जी म्हारे....
ससूरा जी रा बेटा तो दादाजी रा पोता सूगनी मायड के ओदे लौटिया जी म्हारे....
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पितरजी का गीत -3
अले खले, अले खले नदिऐ बेवे, म्हारा पितर जी धोत्या धोवे महाराज धोप्या तो म्हारे दशरथ जी धोवे तो, आपज पाट पधारो महाराज पाटपधारो न नारेला बधारो तो, खोपरा रा होमकरावो महाराज (घर का नाम लेवे
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पितरजी का गीत -4
अपना बाबाजी रा बाग में जी, अपना ताउजी रा बाग में जी राय चमेली रो रुख जी महारो बालो ऐ पितर कलिया माहीं खेले, कलिया में खेले मोगरा में खेले तो उमंग-उमंग फल देय जी म्हारो बालो, ऐ पितर कलिया माही खेले (सभी नाम लेना)
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पितरजी का गीत -5
सबसे पहल्या म्हें तो, घर का देव मनावां, पूजा करां हाँ थारा, गुण गावां ॥टेर ॥ घर का देव पित्तर देव, लीन्यों शरणों थारों जी कर दिज्यो प्रकाश देवा, मेटो अंधकारो जी चरणं मं थार दैवा, चित्त ल्यांवा ॥टेर ॥
थारी रात जगाकर देवा, थान ही मनावां जी
थे हो म्हार घर की ज्योति, थारो हुकुम न टाला जी, आओ पधारो म्हारा पित्तर देवा ॥
थार ही भरोस देवा, सुख की नींद सोवां जी
थारो जद है हाथ सिर पर, म्हें क्यूँ घबडावां जी, बालक हाँ थारा म्हें तो, शीश नवावां
जो भी बनती मं आसी, करता रहस्यां थारो जी '.......' न तो पित्तर देवा थारो ही सहारो जी, टाबर थारो होकर क्यूं, दुःख पाँवा
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माताजी का गीत -6
माता रो मन्ड साकलो माता जातीड़ा लेवरे बुलाय, हिवेड़ दारे का म्हारे मन रले, जगजनिव गिरयासी मातासा दशरथजी रापूत, हिवड़े वीरे म्हारे (घरकानाम लेवे) सोना री ईट थपायसी माता सा... दूधारी मसक झूडायसी माता सा.... लम्बी-लम्बी ध्वजा ऐ चढायली माता...सोना रो छतर चणयसी माता... घी भर दिवलो ऐ जोयसी माता... मोतीया रा आखा ए छोड़सी माता सा.... नारेला री भेंट चढ़ायसी माता सा...सगाला भाया रा पूच वाट का म्हारे मन रलि • माता निछे रावल सब पूरी हुई, माता ये दोऐ ओट पूराय जे जे गूड़े आवे ऐ माता निदड़ी, लिखे ऐ बाई ननदा ओ सातिया। बाई थारा ऐ बाबूल घर ब्याव, थारा तो चिल्या ऐ बाई अब हुया। घरे गोरा गणेश लाल बीरो सिंगे चण्यो, बहू भावजड़ी ने जायो छे। पूत थारा तो चित्या ऐ बाई अब हुआ जी झबके उड़ावे झूलरियो चुदड़ी जी बाई मूल मूल देवना असीस थारा तो चित्या ऐ बाई अब हुआ
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सती माता जी का गीत -7
सती माता खेले जी अंगणा जी दशरथ जी रे अंगणा (सब घर का नाम लेवे) लिलवट सोहे हिंगलू री टीकी, नैना सोहे काजल की रेखा ॥ मुखडे सोहे पाना रा बिड़ला, बैया सोहे गुलाली सो चुडलो ॥ हाथा सोवे रचनी सी मेहन्दी, पाँवा सोहे बाजना सा बिछिया, सिर पर सोहे नवरंग की चुंदड़ी ॥ सती माता खेले जी अँगना, लिलवट देस्या हिंगलू री टीकी, कोया देस्या काजल की रेखा, मुखडे देस्या पाना रा बिड़ला, बैयां देस्या गुलाली सो चुड़लो, हाथा देस्या रचनी सी मेहन्दी, पांवा देस्या बाजनासा बिछिया ॥ सिरपरदेस्यानवरंग कीचुंदड़ी, देखो मेरीसाती रो सिनगार, खेलेसगलाभाया रे अगणा
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सेडल माता जी का गीत -8
काहे री गाड़ी मैया काहे रा पहिया, काहे रा बैल जुताए रे
म्हारी सेडल माता तोही से ध्यान लगाउ रे । चंदन री गाड़ी रुपा रा पहिया सुरियारा बैल जुताए रे। म्हारी सेडल माता जै चढ़ आवे देश की ऐ माता, रुस्यो सो गोत मनाउ रे। म्हारी सेडल.... जे चढ़ आवे इन्दोरिया री माता, नो नेवज कर पूजू ऐं। म्हारी सेडल... सिर पर सिगडी पगा ऐ उगाडी तो, गाती बजाती मन्ड आउ रे। म्हारी... सासू बहू आवे थारे दूधारी धार छोडे ऐ। म्हारी सेडल..... ननद दौराणी जेठानी आवे जात जडूला उतरावे। म्हारी सेडल.....
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ऊंकार जी -9
ॐकारजी का बड़ा पर्वतजी ओ बड़ी कठिन है जात चाल रे ॐकारजी के चाला। दुकान बेठन्सा सुसराजी बोल्या बहु काहे की बोली छे जात रे । ॐकारजी.. गोदी खेलन्ता पलना झुलनता नाना घुलरियारी बोली छे जात रे ॐकारजी.. तुम तो बहु अटे ही रहो जी हम ही उतार ऑवा जात रे। ॐकारजी..... भेस दुहन्ता जेठनी बोल्या, गेंद खेलन्ता देवरजी बोल्या
सेज चड़न्ता साहेबजी बोल्या, गाय दुहन्ता ननदोईजी बोल्या बहु काहे की..
गोद खेलन्ता पालना झुलन्ता नाना दुलियारी।। ॐकारजी के चाला
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ऊंकार जी गीत -10
वे तो उज्जैन में महाकाल जी बसरया। वे तो नागदा में नागेश्वरजी बस रया ॥ वे तो देवगुराडिया गुटकेशवरजी बस रया। तो इन्दौर इन्द्रेश्वरजी बस स्या वे तो मन्दिर में सावरियों बस रया। थारी धोली ध्वजा महिमा थारी ओ ॥ ओंकारजी ओंकार बाबो नर्मदा में बस रयो ।
बाबा कलियो चुनायो थारो देवरो बाबा, अगर चंदन रा किवाड़ ओ ओंकारजी .... बाबा चढ़ेए मलिदो थारे चुरमों बाबा घी की रेला ठेल हो। ओ ओंकार जी... बाबा चढ़ेऐ रुपया थारे रोकड़ी बाबा छत्तर नारेला री भेट हो। ओ ओंकार जी... | बाबा जाती तो आवे थारे दूर का, बाबा सावलियाँ मोटीयार हो ओ ओंकार बाबा जातन आवे थारे दूर से बाबा, गोद जडूलापूत हो। ओ ओंकार जी.....
बाबा दरसन परसन में करिया, बाबा जात जडूला में करिया
बाबा हुक्म करो तो घर जावांओ ओंकारजी..... जाती थे घर जावो जाती आपना जाती थारी घर आनंद उछाव हो, थारा घर रच रयो ब्याव हो ओंकारजी ओंकार बाबा नर्मदा में बस रयो...
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जीन माता का गीत -११
माता के भवन में जीवो नरियला रो बीडलो। जीवो सुपारी रो बीड़लो लझा रे बिड़ले म्हारी जीन माता बस रही।
ऐ तु जाग ये भवानी नगर कोट की धरयानी, थारा ये भवन में चौरासी बाजा बाज रया, माता के भवन में रातु बाजा बाज रया
माता के भवन में काजल रो बिड़लो जीवो मेहंदी रो बिड़लो, रोली रा बिड़ले म्हारी आज भवानी बस रही। ए तु जाग भवानी नगर कोट.....
माता के भवन में जीवो चुड़ो रो बिड़लो, जीवो पोमचा रो बिड़लो । रजी.. चुदड़ी रे बिड़ले म्हारी आज भवानी बस रही। एतु जाग भवानी..... | माताजी ने ध्यावे .......कुमार जी रा कान्हाजी वाके तो हिरदे म्हारी आज भवानी बस रही। ए तू जाग भवानी... माताजी ने ध्यावे सदा सुख पावे बहुत सुख पावे। (नोट: जीन माता की जगह अपनी माता का नाम लेवे ।)
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काली माता का गीत -12
काहे का तेरा भवन भवानी म्हारी काली मैया काहे का तेरा दरवाजा म्हारी काली मैया अब पत राखलो सेवक की सदा पत सहाय करो महाजन की सोने का तेरा भवन भवानी लकड़ी का दरवाजा अब पत राखलो भवानी। साहाय करो माथा ने माँ इदक विराजे मेरी काली मैया झुमका रतन जड़त है मेरी काली मैया शीश ने मैया टीका पांव में बिछियाँ रतन जड़त है.
आन्नदी मैया चूंदड़ में गोट लगत है अब पत राखलो सेवक की (रकमों के नाम लेना) तेरा तो मण्ड में मैया घुप पड़त है मेरी काली मैया छाँव भली अम्बा की तारो की तेरे तो मण्ड में मैया मेह बरसत है मेरीकाली मैया
बुंद पड़त मोतीयन की तेरे तो मण्ड में मैया मोर बोलत है मेरी काली मैया.... शब्द भले कोयल के तेरा तो मण्ड में मैया पाठ बचत है मेरी काली मैया पाठ भलो दुर्गा को तेरा तो मण्ड मे मैया दिवलो ज्वत है मेरी काली मैया...
जगमग ज्योत सवाई तेरा तो मण्ड में मैया भोग लगत है मेरी काली मैया...
भोग भलो सीरा को तेरा तो मण्ड में मैया भेंट चड़त है मेरी काली मैया....
भेट बड़ी नारियल की आसन छोड़ सिंहासन पर बेठी मेरी काली मैया...
भेद ना राखलो सेवक की सदा साहाय करो महाजन
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बिजासन माता का गीत-13
सुसरो ये बोले ए माता सासु ये बोले, जेठ ये बोले ए माता जेठानी ये बोलो तो कीस विथ मनाऊ थारी जात हो म्हारी बिजासन माता। नोबत बाजे तो झीनी झीनी उड़ेरे गुलाल, हो म्हारी बिजासन माता सुसरा मनाऊ ए माता सासु मनाऊ तो हस हस आऊ, थारी जोत जलाऊ ओ म्हारी बिजासन माता (सभी के नाम लेना)
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शीतला माता का गीत -14
.......कुमारजी हो दरवाजो खोल, थापे मइयायाजी करे छे माता सीतला । म्हाने काई फरमाये माता सीतला, थाने देवेजी बेटा पोता की जोड़। थापे... सासु बहु हो दरवाजा खोल, थापे मझ्याजी करे छे माता सीतला। म्हाने काई फरमाने माता सीतला, थाने देवेजी गोद जडूला पूत। थापे....(नाम लेना)
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सकराय माता का गीत -15
ऊचाँ पर्वत सकराय माता जे चड़ कोयल बोले बोले माय थारे मंण कोयल बोले इ नगरी को पापी राजा कोयल पकड़तो डोले डोले माय थारे मंण कोयल बोले पकड़ कोयल पिजरें में डाली राजाजी सार पासा खेल खेले ए माय थारे मंण...
ई नगरी में है कोई धर्मी जो कोयल रा वन खोले, खोले माय थारे मंण कोयल बोले ई नगरी में .......कुमारजी रा कान्हा धर्मी जो कोयल रा वन खोले.... टूट ग्यो पिंजरो उड़ गई कोयल राजाजी, भटकता डोले माय थारे मंण कोयल बोले उड़के कोयल माण्या पे बैठी तो जातिड़ा की जय बोले, बोले माय... उड़ उड़ कोयल बागा में बेठी तो गिरी छवारा चूगें, चूगें, बोले माय.... उड़ उड़ कोयल पतड़ा पे बेठी बामण को सत तोले, तोले माय.... उड़ उड़ कोयल डपटी पे बेठी बगीया को सत तोले, तोले माय... ऐसी हे मेरी साकम्बरी माता सेवक वालां सब में बोले माय थारे मंण कोयल बोले
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श्याम बाबा का गीत -16
दशरथजी री गाड़ी हकी बाबा श्यामजी प्रभु संग रामचंद्रजी रो जाय
ध्वज बन्द सांवरो बाबा श्याम...
(इनके बाद सभी घर का मोटयारा का नाम लेवे) सगला मायारी गाड़ी हकी बाबा श्यामजी प्रभु संग छोटा, मोटा रो जाय। ध्वजा... श्याम कुन्ड को न्हावनों बाबा श्यामजी, प्रभु निर्मल होयगा शरीर। ध्वजा... जाती तो आवे थारे दूर का बाबा श्यामजी प्रभु सावंलिया मोटियार ध्वजा... जातन आवे थारे दूर की बाबा श्यामजी प्रभु गोद जडूला पूत। ध्वजा.... चड़े ऐ मंलिदो थारे चुरमो बाबा श्याम बाबा घी की रेलम ठेल। ध्वजा... रोक रुपया थारे रोकड़ी बाबा श्यामजी प्रभु छतर नारेलारी भेंट। ध्वजा.... दशशन परसन में करया बाबा श्याम जाता जडूला बाबा में करिया। ध्वजा...
बाबा श्यामजी बाबो हुकम करो घर जाय। ध्वजा... थे घर जावों जाती अपने बाबा श्यामजी सेवक घर थाने आनन्ज । ध्वजा... उछाव धणां बन्द सांवरो बाबा श्याम जी बाबा घर थारे जायो...
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कल्याण जी का गीत -17
श्री जी थारे कान बीराजे मोती चेना री शोभा भारी जी श्री कल्याण मोल्याँ वाला, श्री जी थारे हाथ हीरा जड़ी पोची, मेंहीदी की शोभा भारी जी। श्री कल्याण...
श्री जी थारे पाव बिराजे मोजा, जूती कि शोभा भारी जी। श्री कल्याण.....
श्री जी थारे अंग बिराजे जामा, केशर की शोभा भारीजी। श्री कल्याण...
श्रीरी जी थारे ढाड़ी में छे हीरो, वो हीरो जगत उजालो जी श्री कल्याण .... श्री जी थारे गावे जमना दासी वा जनम-जनम सुख पासीजी। श्री कल्याण... श्री जी थे जो डिंगी पूरी का राजा, थारे बाजे नोबत बाजा जी श्री कल्याण.... थाने लूला भोत पुकार महाराज थाने कोड़ी भोत पुकारे, थारे बांझल भोत पुकारे कोड़ी ने काया दियोजी बाझणाल्या ने पुत्र दिजो जी.
श्री जी थाने निर्धानिया रो होलो थे डिग्गीपूरी में बैठ्या, झेलयो। श्री कल्याण.... श्री जी थारे आधा भोत पुकारे आंधा ने आंखा दिजो जी। श्री कल्याण....
निर्धनता ने धन दिजो जी श्री कल्याण मोत्याँवाला...
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मवलियो का गीत - 18
मवलिया कौन चिनायो थारो देवरों, मवलियो कौन लगाई गज नीम ऐ,
मवलियो सदा ऐ सुरंगी म्हारी मावलि ॥
राजाजी चिड़ायो थारो देवरो, पिरजा लगाई गज नीम ऐ मवलियो.... मवलियो रात बसाओ कुआ बावड़ी मवलियो दिन में आकाशारे माय। ऐ मावलियो... मवलियो चाक्लीयारो भोग ऐ, मवलियो पीला तो ओडावे महारी मावलि
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श्री जी - 19
सुसराजी ने खिलाई श्री जी थारे धरसन आई, सासुजी ने दिखाई श्री जी थारे दरसन आई दरसन में भुल आईजी। हरका झांझ मजीरा झाझर भुल आई जी, कठे तो थारे झांझ मजिरा कठे मोहन मालाजी।
मोहल्ला में म्हारा झांझ मजिरा खुटिया मोहन मालरजी मे लेर आई जी
(नाम लेना)
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बालाजी का गीत - 20
सुसराजी थे ही धन रा बाप हुकम, करोतो बालाजी ने धोकश्याजी। क्या कि बहू बोली छे जात, कायरे कारण बालाजी ने ढोकस्याणी ॥ चूडलारी बोली छे जात कुंवरा रे कारण, बालाजी ने ठोकस्याजी । जेठ बड़ेडा थेई धन रा बाप हुकम, करो तो बालाती ने ठोकस्याजी । क्या कि बहू म्हारी बोली छे जात कायरे, कारण बालाजी ने ठोकस्याजी चूड़लारी बोली छे जात कुंवरा रे कारण, बालाजी ने ठोकस्याजी देवर राजा थे ही धन रा बीर घुडला, सिनगारो, बालाजी ने ठोकस्याजी। क्या कि भाभी म्हारी बोली छे जात, कायर कारण बालाजी ने ठोकस्याजी चूड़लारी बोली छे जात कवँरारे कारण, बालाजी ने ठोकस्याजी । सायब राजा सेज रा सिनगार बायड़ ली भनकोरा बालाजी ने ठोकस्याजी । क्या कि गोरी म्हारी बोली छे जात कायरे, कारण बालाजी ने ठोकस्याजी । थाकी माकी बोली छे जात पूतड़या रे, कारण बालाजी ने ठोकस्याजी । चाल्या पान मारु माझल रात दिन रो उगायो बालाजी का देश में जी। खोलो बालाजी बजड़ किवाड़ सांकल खोलो बीजा सार किजी ॥ बैठो बाबा म्हारो आसन ढ़ाल, लाल लंगोटा तिलक सिंदुर को जी।
टूटयों बाबों म्हारो अर्थ भंडार एक गोदी में दूजों आंगली जी ॥ वोछै बाबो म्हारी अंजली रो पुत्र, कारज सारया राजा राम का जी। धन छे अजनी माता थारी कूख थारी कूखडया हनुमत जनमिया जी ॥
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हनुमानजी का गीत- 21
ऐकुण जाय पाचू पाडू, ऐ कुण जाया हनुमान हनुमान पियारा थे म्हारे कारज साध कुन्ती जाया पाचो पांडू, अंजनी ने जायो, हनुमान - हनुमान पियारा थे। म्हारो... कठे उतरे पांचू पांडू, कठे तो उत्तरे हनुमान-हनुमान पियारा थे। म्हारो... महला में उतरे पांचो पांडू, लाल मन्डी में हमनुमान- हनुमान पियारा थे। म्हारे... काई पेरे पाँचू पांडू काई तो पेरे हनुमान-हनुमान पियारा थे। म्हारे..... धोला बस्तर पांचो पांडू लाल लगोटा हनुमान-हनुमान पियारा थे। म्हारे... काई जीभे पांचू पांडू, काई तो जीभे हनुमान- हनुमान पियारा थे। म्हारे.... लाडू पेड़ा जी में पांचो पांडू, दही ऐ मलिदो हनुमान-हनुमान पियारा थे। म्हारे...
कठे पोड़े पांचू पांडू, तो कठे पोडे हनुमान-हनुमान पियारा थे। म्हारे... लाल पीलग पे पांचो पांडू, ओटला पे लोटे हनुमान-हनुमान पियारा थे। म्हारे कई तो देवे पांचो पांडू, कई तो देवे हनुमान- हनुमान पियारा थे ... अन्न धन देवे पांचो पांडू, बेटा पोता देवे हनुमान-हनुमान पियारा थे ..
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भेरुजी का गीत-22
छोरिये घी भर दीवलो सो जोय भैरुजी आया पावना जी (2) भैरुजी ना छे म्हारे गायर भैस तो क्या को दिवलो जोय सी जी। छोरिये देस्या थाने गायर भैसतो घी भर दिवलो जोयसी जी। भैरुजी ना छे म्हारे गाया रो गुवाल तो कुणा म्हारी गाय चरायसी जी। छोरिया देस्या थाने गायर गुवाल तो वो थारी गाय चरायसी जी। भैरुजी ना छे म्हारे देवर-जेठ तो कुन म्हारो बालो परनायसी जी। छोरिये देस्या थाने देवर-जेठ तो वो थारो कंवर परनायसी जी। भैरुजी ना छे म्हारे दोर-जेठानी रो साथ तो कुन म्हारे मंगल गायसी जी। छोरिये देस्या थान दोर-जेठानी रो साथ तो वे थारे मंगल गायसी जी भैरुजी न छे म्हारे मां को जायो बीर तो कुन म्हारे चुंदड उडायसीजी। छोरियो देस्या थाने जामणा जायो बीर तो वो थारे चुंदड उड़ायसीजी। भैरुजी पूरी म्हारा मनड़ा री होश तो घी भर दिवलो जोयसी जी।
भैरुजी जोय धरुजी राम रसोया रे, माय तो सुसरा-सासू जीमिया जी । भैरुजी जोय धरुगी रंग महला रे माय तो साजन-गोरी पोड़िया जी । भैरुजी जाये घरुगीसामीजी साल भैरुजी आया चांदने जी।
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छीकं चौथ का गीत - 23
• थारे गोरा दशरथजी छींकमाता, चौथमाता टूटीतोटूटी म्हारी आजभवनी मेरी माय... (इसके बाद भी आदमी बच्चा का नाम लेवे)
काय मे घडाउ ऐ माता काय में पुआरु थोर, कायमें पाट पुराउ मेरी माय। सोना की रे घड़ाउ ऐ मातारुपा की रे घडाउ थारे राते पीले पाट पुआरु मेरी माय हिवड़ा उपर राखू ऐ माताजीवड़ा उपर राखू थाने राखू कालजारी कोर मेरी माय... दूधा से नहलाउ ऐ माता, दहिया से नहलाउ थाने गंगाजल नीर पीलाउं मेरी माय लाडू रेजीमाउ ऐ माता सीरो ऐ जीमाउ, थाने चुरमा रो भोग लगाउ मेरी माय... बायड बेन नमउ ऐ माता जीने बेने नमाउ थारे सनमुख शीश नमाउ मेरी माय॥
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रामदेवजी - 24
लम्बो पेड़ खजूर को जी जातल सुल्या रामा वीर थोली चादर ओड़ीयाजी डाली बाई जाय जगाई जी सुगनाबाई जाय जगाइजी आगे म्हारा माँ काजाया बीरलंबो पेड़ खजुर कोजी जावल सुल्या रामा पीरजी, माथा का वेचा कहा मुल्याजी गला का ड़ोरा वहाँ मुल्याजी थे छो माँ का जायाबीर झमला मे लारालेचलोजी डालीबाई असल गवांर सुगनाबाई असल गवार झमला में लारा न ले चलो जी लग्बों पेड़ खजुर को जातल सुल्या रामा पीर जी हाला का झाल्या कहाँ मुल्या जी
अंग को जामा कहा मुल्या जी ये तो म्हारी माँ का जाया बीर छोलो कहाँ मुल्याजी झालो जगायो सारी रात घोड़ा घोड़ा वथै मुल्याजी ये घो म्हारा माका जाया बीर झमला मे लारा ले चलो जी
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गुगाजी का गीत - 25
गुगारो पीछवाड़े चमेली फूल रही थी राज चमेली फूल रही जी राज धोली धोली चादर ओढ़ आँगण बीच कोन खड़ी जी। राज आंगण बीच कौन खड़ी जी मत कोई करो ऐ विचार गुगाजी री माय खड़ी जी राज, बसक जीरी माय खड़ी जी राज.. हरी-हरी चुड़िया पैर छरोका बीच कौन खड़ीजी राज... (2)
मत कोई, करो ऐ चार गुगाजी थारी बेन खड़ी जी राज, बासकजी तेरी बेन खड़ी जी राज
उदियो सो डडीयों ओढ़ महल बीच ॥ कौन खड़ी जी राज.... ( 2 ) मत कोई करो ऐ विचार गुगाजी री नार खड़ी जी राज, बासक जी री नार खड़ी जी राज लीली को असवर आधी सी राता को न फिरे जी राज, शहर बीच कौन फिरे जी राज, मत कोई करो ऐ विचार सेलानी गूगो आप फिरे जी राज नगरी राजा आप फिरे जी राज
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भोमियों का गीत- 26
माय बरजे रे भोमिया थारी माय बरजे रे, उस चंबर पाट भोमिया मत जावो रे । उस नदियां के पाट भोमिया मत जावो रे, मत बरजो मायड़ी म्हारी थे मत बरजो रे म्हारी जीत का नगाड़ा चारुखूट बाजे रे, म्हाती चढ़ती असवारी अमीलयो प्यारो लागे रे (आगे काकी भाभी बेन, मासी सभी का नाम लेकर ऊपर लिखे ऐसे गावे।
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तेजाजी का गीत 27
• कुल में दोय फुलड़ा, भलाजी एक सूरज दूजो चाँद ओ बासक जीरा तेजाजी थे बड़ा जी सूरज की किरण तपें जी चन्दारी निर्मल रात ओ। बसक जी रा तेजाजी थे बड़ाजी कुल में दोए फुलड़ा बड़ाजी एक धरती न दूजो आसमान तेजाजी थे भला जी... आसमान से वर्षा हुई जी धरती में निपजे को धान होन बासकजी का तेजाजी.....
कुल में दोय फुलड़ा भलाजी एक घोड़ी न दूजी गाय हो बासकजी रा.... गायरा जाया हल हाकेजी घोड़ी रा ढावेला राज हो नागणजी रा तेजाजी ।... कुल में दोय फुलड़ा भलाजी एक मायरा दूजो बाप हो बासकजी..... मायड़ रे होदर लोटिजी बाप लड़ाया छे लाड़ हो बासकजी कुल में दोऐ कुलड़ा भलाजी एक सायब दूजो बीर हो नागन जीरा तेजाजी... धीर उड़ावे बाला चुदड़ीजी सायब रो अबछल राज हो वासक जी... भावज लागेली पांव सीली होय, सपूतीजी भाया रो उबछल राज हो..
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केशरिया का गीत - 28
कठे तो बाजा बाजिया कंवरजी, तो कोठो गुड़िया छे निशान हो । अम्बा बाड़ी लगी गुल क्यारी लगी हो कंवर तेरे दरबार छबी न्यारी लगी। बागो तो सोवे केशरिया हो कंवरजी, तो माथे मारे गज पाग हो। अम्बा बाड़ी लगी सुतन सोवै रेशमी कुंवरजी नाडो लाल गुलाल हो। अम्बावाड़ी लगी.... पगा सोवै पावड़ी हो कुंवरजी, मेहंदी राचीया पाव हो ॥ अम्बावाड़ी लगी... हाथ होरी जड़ मुदड़ो कंवरजी, रतन कुंण्डल दोय कान हो। अम्बावाड़ी लगी ... चावंल रादू उजला हर देवजी तो हरीया ऐ मूंगा री दाल हो। अम्बावाड़ी लगी.... फलका तो पोउ लबझबीया हर देवजी तो तीवन तीस बत्तीस हो। अम्बावाड़ी..... भाभी तो देवर जीमिया हर देवजी तो लेले बिचला गास हो । अम्बावाड़ी.... उंची चढ़ के राबडी हर देवजी दीवला री जगा जोत हो। अम्बावाड़ी.. भाभी तो देवर पोड़िया हर देवजी तो लाल चुड़लो गले माल हो। अम्बावाड़ी.. उंची करगया आंगली हर देवजी तो निचा कर गया नैन हो। अम्बावाड़ी... ओढ़े अंधेरी में थोकश्या कंवरजी तो भर भदुड़ा रात हो। अम्बावाड़ी... चढ़े चढ़ावे थारे चुरमो हरदेवजी तो उजला चांवलियारो भोग हो अम्बावाड़ी.. राती जमा में गायसी हर देवजी तो ले ले थारो नाम हो। अम्बावाड़ी....
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नरसिंगजी का गीत - 29
करे कोसा में देवेरो नरसिंगजी केर कोसा गज नींव ।
मंदिर गाजे जोत विराजे बाबा नरसिंगजी बिराजे ॥ । सो को में देवरो बाबाजी लख चौरासी फेर मंदिर। गजे जोत बिराजे बानो नरसिंगजी जाती आवे दूर का जी सावलिया सिरदार मंदिर।
मंदिर गाजे जोत विराजे बाबा नरसिंगजी बिराजे ॥
जातन आवे दूर की जी गोद जडूला पूत मंदिर। मंदिर गाजे जोत विराजे बाबा नरसिंगजी बिराजे ॥ चढे चढावे चूरमोजी घी कि रेलम ठेल, रोक रुपया रोकड़ीजी छतर नारेलारी भेंट
दरसन परसन में करिया बाबा जात जडूला ।
में करिया बाबा हुकम करो तो घर जाय। मंदिर गाजे.. थे घर जावो जाती आपनाजी था घर आनंद उछाव।
था घ जायो नंदलाल, थारा घर रचयो ब्याव। गाजे जोत विराजे बाबो, नरसिंगजी
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जगदीशजी का गीत - 30
जगदीश रायजुग जीवना दर्शन दो जादू, राम, जगदीश-जगदीश में कटा जगदीश कतियेक दूर।
घर बैठया ने दूखा चालतड़ा ने नजत, कदियन नहाया गंगा, गोमति न करिया सरजू स्नान उदिया का दर्शन न करिया, न पूरस्या जगन्नाथ भात रे ।
सुखवासी जी बड़ा क्यो आयो संसार में।
न्हाया गंगा गोमती में करिया सरजू स्नान,
पूराण उदिया का दर्शन में करया मे, पूरस्या जगन्नाथ भारत रे सुखवासी।
जीवड़ा भल आयो संसार......
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सभी देवी देवता का गीत - 31
म्हारा माथा ने में मंद लाओ सा दिखन मती जवोसा, म्हारा काना में छाल घडाव सा दिखन मत जावसा
वो आगे आगे भोमियों ने पीछे बजरंग बाला, वो झंडो भेरुनाथ को अगवानी सांत्यु बेना, वा जल में झेले सीतला, श्री कल्याण मोत्या वाला, बा छींक चोथ की पातड़ी में पूजुगी गुगो बाबो वो झाँकी बदरीनाथ की महादेव छतरीवाला
वो मंदिर जगदीश को मैं दर्शन करने आई, वो मंदिर महादेव को जल सीचने आई म्हारी उबी राखो पालकी पूजागा सब देवता (इस प्रकार सभी का नाम लेवे।)
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सासू जी का गीत-32
कठे से आया जी सासुजी प्यारा पावना, कठे लियो छे मुकाम आज बहु के जी सासुजी आया पावनाजी,
......से आयाजी सासुजी प्यारा, पावना इन्दौर लियो छे मुकाम। आज बहु...
ऊँचा तो घालाजी सासुजी थाने बैठना, दूध पखालगा पांव भला आया जी ॥ चांवल रांदाजी सासूजी थाने उजला, हरिया मूंगा री दाल। सासुजी प्यारा... फलका तो पोवजी सासुजी थाने लब झरिया, तिवण तीस बत्तीस। आज बहु.. बरतावा जी सासूजी थाने टोकना, मोटया इंडियारी या खान ॥ थाल परोसे जी सासूजी थारी कूल बहू। ओढ़ पिला को बेस नेवर के झंकार जीमत निरखउजी सासूजी थारी आंगली.
बोलता सुगनासी जीभ दाँत दादूखा ऐ बीज, माय कमल को फूल। आज बहू .... जीमिया तो चूठया जी सासूजी म्हारे रस रयो, अमृत चलू ऐ भराय। आज बहू... हो जो थाने बैकुंठा रो बास, सुसराजी रो बंश बड़ाय, बेटा पोता रो वंश बड़ाय। छोरा-छोरी ऊपर छाया राखोजी, सासुजी प्यारा पावन जी ॥
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पचपीरा का गीत- 33
• लावो सुई खोदो कुंई, तो खोदर काड़ों, शीतल पानी रे, मीया घेर ऐ धुमानी। धेर धूमानी राजा छोड़ अभिमानी, तो याही म्हारा लाल गुरु की बाणी रे मिया घेर ऐ धुमानी रे। मिया धेर ऐ... चार कलता बाबो पानी का मगायाँ तो, दोऐ भरिया दोये रीता ऐ। मिया धेर ऐ... चार भरोटा बाबो घास का मगायाँ तो दोये आला दोये सुखा पांचों पांडव करयो ये मलिदो तो लाल गुरुजी पिंडा साधे रे। मिया धेर पांचो पांडू करो ये कसीवो तो लाल गुरुजी करे अगवानी रे । मिया धेर ऐ...
चर गयो चारो बाबो पी गयो पानी तो कर गया लीद निशानी रे । मिया धेर ऐ.. बेन भानाजी छुर–छुर छांके तो साली नोत जीमाणे ऐ। मिया धेर ऐ... पहले तेली तेलन देतो तो अबर लुटावे धानी रे। मिया धेर ऐ....
पहले बान्यो गुड़ नहि देतो तो अबर लुटावे गुण धानी ऐ। मिया धेर ऐ... ऐ घुमानी घेर घुमानी राजा छोड़ अभिमानी तो याही म्हारा लाल। गुरु की वाणी रे
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पितर पाटड़ली का गीत - 33
म्हारा राय खाती का, तू तो मोड़ चंदनीया रो रुख बिदानीलाल, तू तो मोड़ रे अम्बा के बड़ो,
म्हारा देखिये देवता थारे हो जो बैकुंठा रो बास बिदानीलाल म्हारा पितर बाबो जोगो, बीरा पाटड़ली, म्हारी सती माता जागो, तू तो छाबड़ा लो धड़ लाय बिदानीलाल म्हारा बालजी, भेरुजी, हनुमंत, बाबो, जागो तू तो घोडलो घड़ लाड़ बिदानीलाल, मैं तो मांजर रात जगाईया जी,
अब तक गया था संचा, गीत बिदानीलाल, में तो अब तक गावा पोखरा थे तो सोवो के जागो साजी,....कुमारजी रा .... कुमार पूत भिदानीलाल थारी खतन लाई रंग रो ढोलियो (इस प्रकार सभी आदमी बच्चों के नाम लेवे) महारा राय खातिका थाने देवे पलंग निवान बिदनानी लाला, म्हारी खातन ने पीडो घालसी म्हारा राय खाती का थाने देवे मुरकीधाल कान में भिदानी म्हारी खातन ने, झवरक, झूमका म्हारा खाती का थानै देवे पचरंग पाग भिदाणी लाल म्हारी खातन ने बीरा नो रंग चुंदड़ी म्हारा राय खाती का थे तो घोड़े असवार बिदानी म्हारी खातन ने रुनझून बैल जुपायस्याजी म्हारा राय खातीका थाने करण कसार बिदानीलाल, म्हारी खातन ने बीरा लचपच लापसी थारी लापसड़ी में धीरो ऐ सुधारी म्हारी लापसी, वातो चलती खातन की वातो देछे आशीश रे
बिदानीलाल थे तो फल जो रे फूल जो कड़वा नीम सा
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दिया का गीत- 35
ले टको कुम्हारा के जाय कुम्हारा ऐ म्हारे, दियो धड़ लाय, रंग महला दियों जुपेजी राज, सुख सेजा दियो जुपेजी राज ॥ ये कुण दिवला लायसी जी राज, ये कुणजी खर्चे दाम, रंग महला दियो ...... दिवला लायेग, कान्हा जी खर्चे दाम, रंग महला दियो ।...... ले आया जी राज वाके जी राती जगा की रात, रंग महला दिये।
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मेहन्दी का गीत - 36
और बसावे माथा ने टिको भंवर बसावे मेहन्दीजी, और बसावे हिवड़ा ने हार भवर बसावे मेहन्दीजी,.
| हठिला हठ छोड़ो जी लगाय आई मेहंदीजी, पातलिया दिल खोलो जी लगायआई मेहन्दीजी, गोरी नखरो भारी हमसे प्यारी मेहंदी गोरी ये दौड़ बगल में आजा थारी तुरंत सुखादू मेहंदी
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काजल का गीत - 37
रखड़ी गेने मेल दो काजल का लाग्यो कोट, काजल धुले रयो जी राज। झुमकी गजरा, पायल, बिछीयाँ, चुड़ला गेने मेल दो काजल को लाग्यो कोट रखड़ी गेने, झूमकी, हार मेल्या ना सरे लुगाई की शोभ जाय। काजल घुले सामा मिल गया भायलो तू आधी रात को जाय, काजल घुले रयो जी राज मूरख से चतुर भलो काजल का बतावे कोट, काजल घुले रयो जी राज दिया में तेल बाती पूर दे उपर से ढकनी ढाक, काजल घुले रयो जी राज काजल सारे गोरनी व घर कृष्णकुमारजी की नार, काजल घुले रयो जी राज शीका काजल सार लो, नैना से नैन मिलाय। काजल घुले...
आमा तो सामा बैठका म्हारो काजल लहरकियो लेय, काजल घुले रयो जी र (सभी घर का आदमी बच्चा का नाम लेवें।)
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पीर बाबा - 38
उबी राखो पालकी पांच पीर के, थामी राखो पालकी चालुगी पांच पीर के टिको तो म्हारो चड़ियों चड़ाओं बिन्दी पड़ी, सुनार को जी झुमको तो म्हारी चड़ी चड़ाई, कुण्डल पड़या सुनार के जी। उबी राखो पालकी.
जाऊ बाबा पीर के में जाऊ बाबा गुगा पठान के पीली झोली चादर ओड़ आंगणिया में कोन फीर जी राज मत कोई करोजी विचार गुगाजी की माय फीरे जी राज पीली पीली चादर ओड़े रसोया बीच कोन फीरेजी राज मत कोई करो विचार गुगाजी की बेण फीरेजी राज पीला पोमचा ओड़ के महला में कोन फीरेजी राज मत कोई करो विचार गुगाजी की नार फीरेजी राज कोतल घोड़ा बैठ के सहर में कोन फीरेजी राज मत कोई करो विचार सोलानी गुगा आप फीरेजी राज
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भाणजो-39
पांच रे पच्चीस में टीका घड़ायो कईया पेरु बीजा भान्जा, थारे बिना माने नींद नहीं आवे बीजा भान्जा, माने भोजन नहीं भावे बीजा भान्जा
(आगे रकम के नाम लेना)
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लांछा - 40
पड़ियो-पड़ियो रे उदा काल दुकात सागर में साटे जेतक बेचियां बरसो-बरसो रे उदा जेठ, आषाढ़, लगता तो बरसा सावन, भादव नीपजो-नीपजो रे उदा मोठ, बाजरो और निपजो अरड़ी बाजरो
थारी धन रे उदा पूरा-पूरा मास जायो छे मास पुत साला रे तो साला कौन पुरे रे उदा रलक्यो-रलक्यो रे उदा माजल गड़ की रात-दिन ए उगयो जेतल, देश में आवो-आवो रे बीरा बेटो म्हारे पास केसढ़ तो कारण उदा आयोजी थारी भावज ए बाई जायो छे पुत साल तो साल्या बाई कौन पुरे सुता सुता रे बीरा भान्जा रो साथ बाहार, सुतो दाड़ी मुंछ को जी लेचल-लेचल रे बाई भान्जा से, साथ माय चलो न दाड़ी ठुमको जी, जागो जागो रे म्हारा चिड़कुलीया रा बाप दागो रे बिचाो उदो बीरनो जी मरजो मरजो रे उदा थारी रे जीय जात जात से बेजात
उदा वे करी सागर रे साटे जेतल बेचिया गुड़ बिना रे उदा कैसी धोय तेतक बिन कैसो राती जगो
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बीजो भाणजो- 40
मामी तो कागद भेजियो बीजारे, हारे बीजा दिन दस म्हारे घर आय मामी को प्यारो भानजो बीजारे, सौरठ लारे ले चलो बीजारे थारा बुलावा न आवा मामी रे, हारे मामी मामाजी रो जल्द सुभाव मामी रो प्यारो भानजो बीजारे, सौरठ ले रा ले चलो बीजा रे थारा मामाजी घर नहीं बीजा रे, हारे बीजा दिन दस म्हारे घर आय
मामी रो प्यारो भानजो बीजारे, सौरठ लेरा ले चलो बीजारे बिजरा तो आया बाग में बीजारे, हारे बीजा माली मालन बड़ी रे जुहार
मामी रो प्यारो भानजो बीजारे, सौरठ लेरा ले चलो बीजारे बीजरा तो आया शहर में बीजारे, हारे बीजा महाजन बड़ी रे जुहार ॥ मामीरो बिजरा तो आया पोल में बीजारे, हारे बीजा डयोड़ीवान बड़ी रे जुहार ॥ मामीरो बिजरा तो आया चौक में बीजारे, हारे बीजा चमकी बूरड़ी भैंस ॥ मामीरो और मामीया से मुजरो करयो बीजारे, हारे बीजा सौरठ बड़ी रे जुहार ॥ मामीरो
चौकी तो चावल बेसन बीजारे, हारे बीजा दूध परवालूं की पांव ॥ मामीरो चावल रांदू उजला बीजारे, हरिया मूंगा की रे दाल ॥ मामीरो घी बरताऊं टोकना बीजारे, हारे बीजा गढ़ मथुरा को थाल ॥ मामीरो बीजा तो पूर की बीजनो बीजारे, हारे बीजा गढ़ मथुरा को थाल ॥ मामीरो थाल परोसे पदमिनी बीजारे, हारे बीजा नेवर के झंकार ॥ मामीरो
हाये मामी पोदन ढौर बताय। मामीरो ॥
ऊची तो मेढी रावटी बीजारे, हारे बीजा दिवलारी जगा जोत ॥ मामीरो ओछा तो पाया ढोलनी बीजारे, हारे बीजा डोर डाबर की छे सोड ॥ मामीरों मामी तो भानजा पोडस्या बीजारे, हारे बीजा लाल चूड़े गल बैया ॥ मामीरो थलियां में खडक्या मोचड़ा बीजारे, हारे बीजा बाड़ा में रांभी छे भैंसा ॥ भाग सके तो भागजा बीजारे, हारे बीजा आया छे सेजा रा सरदार ॥ मामीरो के मरवो के मरवो मामी ये, हाये मामी अन म्हासे भाग्यो न जाय ॥ मामीरो बिजरो तो मारु भानजो बीजारे, हारे बीजा सौरठ मारियां घर जाय ॥ काड़ कटारो मारयो भीत में बीजारे, हारे बीजा रोस दियो ठूलकाय ॥ मामीरो बीरो तो कागद भेजियो बाई ये, हाये बाई थारा बालक समझाय॥ मामीरो बालक होय तो बरज लू बिजा रे, हारे बीजा सिंग न बरज्यो जाय ॥ मामीरो कुओ होय तो थाह लू बीजारे, हारे बीजा जीमत निरख आंगली बीजारे, हारे बीजा बोलत बोलत सुगनी जीभ ॥ मामीरो ॥
मूंगफली सी आंगली बीजारे, हारे बीजा जीभ कमल के फूल ॥ मामीरो ॥ जीम्या तो जूठया रस रहया बीजारे, हारे बीजा अमृत चलू ऐ भराया ॥
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नागन- 41
लग गयो लग गयो रे मंदिर में टेलिफोन खबर आई साठ चेड़ा से अच्छा अच्छा भोजन बनाया कालेश्वर के वासते जीमो जीमो जी नागन का भरतार खबर आई साठ खेड़ा से ।
🙏🙏🙏🙏🙏
Jordar 👌👌
ReplyDeleteBhut hi shandaar
ReplyDeleteitni sare geet aur vidhi aur khi nhi ek saath milti h