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गणगौर के त्योहार की संपूर्ण  जानकारी  एवं पूजा विधि एक साथ 🙏🙏

गणगौर के त्योहार की संपूर्ण जानकारी एवं पूजा विधि एक साथ 🙏🙏

 

gangour doha

गणगौर के त्योहार की संपूर्ण

 जानकारी  एवं पूजा विधि

एक साथ 🙏🙏


मुख्य बातें ....

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

गणगौर का पर्व राजस्थान

  उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,

 हरियाणा और गुजरात जैसे

  राज्यो में मनाया जाता है,इस दिन

 गणगौर माता यानी माता

 पार्वती की पूजा की जाती है, तथा उनका आशीर्वाद लिया

 जाता है,पति की लंबी उम्र के

 लिए इस व्रत को रखा जाता

 है, और कुंवारी लड़कियां यह व्रत अच्छा पति पाने के लिए करती है!!

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रुनझुन करती आई गणगौर🙏🙏🙏🙏🙏

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गणगौर की पूजा की संपूर्ण

 विधि , गीत ,  गणगौर को

 पानी पिलाते वक्त बोले जाने

 वाले दोहे,  गणगौर के गीत,

 गणगौर और गणेश जी की

 कहानी, सब कहानी के पीछे

 बोलने वाली (आड़ी-बाड़ी )

 झाले और वारने !!

🙏🙏🙏🙏🙏

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1.दूज का सिंजारा 🙏

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चेत्र सुदी दूज के दिन गणगौर

 का सिंजारा आवे उस दिन

 माथा मेहंदी करनो और तीज

 का दिन गणगौर की पूजा

 करनी पूजापो निकालनो,

 गणगौर का गहना बनाना,

 जवारा बोवना, खाजा, मांडी

 फल  बनाना पूजा में हल्दी

  कंकु ,अबीर, गुलाल, चावल, चुंनडी,

 16 फल, कुंवारी लड़की के 8

 फल , दातन, मेहंदी , मोली, वस्त्र ,काजल, पान ,सुपारी, कच्चा दूध आदि  चढ़ानो,

एकाशना करना चाहिए, जीमने के पहले 16 फल खाने

 चाहिए कल्पना निकालो 16

 मांडी ,रुपैया, ब्लाउज पीस, आदि , कल्पना सास ,ननंद

 या रिश्तेदारों को देना!!


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2.गणगौर की पूजा विधि-🙏

गणगौर व्रत के लिए कृष्ण पक्ष

 की एकादशी को सुबह स्नान

 आदि करने के बाद लकड़ी

 की बनी टोकरी में जवारे

 बोना चाहिए, इलखी-बिलखी,

 लड्डू-पेड़ा बनाना

 चाहिए उसको पोतकर खूब अच्छी तरह से सजाना

 चाहिए,

रोज शाम को गणगौर माता

 की गैर निकले, पति का नाम

 लेकर दोहा सुना कर महिलाएं हंसी-ठिठोली करती है,  कहते हैं कि गणगौर के दोहे में पति का

 नाम लेने से पति की उम्र लंबी होती है,

गणगौर व्रत में व्रती महिला

 को केवल एक समय में

 भोजन करना चाहिए,

और गणगौर पूजा के दिन  गीत गावे,

 कहानी केवे और

 मीठा फल गणगौर का गहना

 बनाकर गणगौर माता को चढ़ावे हैं,

 शाम को सब महिलाए गणगौर के मेले में जावे है

 झाला और वारना ले,

दोहे सुनाए,

 खाजा मांडी ,मीठे फल

 बनाकर उसका कल्पना

 निकाले हैं परिवार में सभी बड़ों से आशीर्वाद ले ,

 इसको उज्मनो भी

 करे हैं इसमें 16 औरतें एक

 चांद-सूरज की इस तरह 17

 औरतों को जीमन का केवे है,

 यथाशक्ति दान-दक्षिणा देवे,

 हैं इस तरह व्रत करें इसमें

 हरि दूब से पूजा करें है और सब ओरता अपने पति को नाम लेकर दोहा सुनाकर गणगौर माता को पानी

 पिलावे है, और इसर गौर से

 अमर सुहाग और अमर

 पियर वासो मांगे !!

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 3.पूजा शुरु करने के पहले गीत..   


1) गोर ए गणगौर माता खोल

 किँवाडी,

 बाहर ऊबी थारी पूजन

 वाली,

 पूजो ए पुजावो सँइयो

 काँई-काँई माँगा,

 माँगा ए म्हेँ अन-धन 

लाछ- लक्ष्मी

जलहर जामी बाबुल माँगा,

 राताँ देई माँयड,

 कान्ह कँवर सो बीरो माँगा,

 रुक्मणी सी भौजाई,

 ऊँट चढ्यो बहनोई माँगा,

 चूनडवाली बहना,

 पून पिछोकड फूफो माँगा,

 माँडा पोवण भूवा,

 लाल दुमाल चाचो माँगा,

 चुडला वाली चाची,

 बिणजारो सो मामो माँगा,

 बिणजारी सी मामी,

 इतरो तो देई माता गोरजा ए,

 इतरो सो परिवार,

 दे ई तो पीयर सासरौ ए,

 सात भायाँ री जोड परण्याँ तो देई माता  पतिए,

 सारा मे सिरदार ,

गोर ए गणगौर माता खोल

 किँवाडी,

 बाहर ऊबी थारी पूजन

 वाली!!

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ज्वारा का गीत

_____

म्हारा हरया ए ज्वारा

 ऐ ,

गेन्हूला सरस बध्या,

गोरा ईसरदास जी रा 

बायां ऐ वाकी रानी सींच

 लिया,

गोरा ब्रह्मदास जी रा बायां ऐ,

 वाकी रानी सींच लिया,

वे तो सींच न जाने ये 

आड़ा-ऊबा सरस बध्या,

बाई रो सरस पोटलों ये ,

गेंहूडा सरस बध्या

म्हारा हरिया ए ज्वारा ये

 गेन्हुला सरस बध्या,

गोरा चाँद सूरज बाया ये

 वाकी रानी सींच लिया,

वे तो सींच न जाने ये आड़ा

 ऊबा सरस बध्या,

बाई रो सरस पोटलो ये

 गेन्हुला सरस बध्या,

मालीदास जी ,पोलीदास जी

 बाया ऐ ,

वाकी रानी सींच लिया,

वे तो सींच न जाने ये 

आड़ा-ऊबा सरस बध्या,

म्हारा हरया ए ज्वारा

 ऐ ,

गेन्हूला सरस बध्या!!


4.गीत 

पूजा  करते समय गाने वाले

 गीत......

2)ऊँचो चँवरो चौकुटो

 जल जमना रो नीर 

मँगावो जी राज,

 जठे ईसरदासजी सापड्या

 बहू गोराँ ने गोर पुजावोजी

 राज,

 जठे कानीरामजी सापड्या

 बहु लाडल ने गोर पुजावो

 जी राज,

 जठे सूरजमलजी सापड्या

 बाई रोवाँ ने गोर पुजावोजी

 राज,

(परिवार के सभी जोड़े के नाम

 लेना है)

 गोर पूजंता यूँ कैवे सायब या

 जोडी इबचल राखो जी राज,

 इबचल राखो सदाचल राखो

  म्हारै चुडला रे राखी बाँधो

 जी राज,

ऊँचो चँवरो चौकुटो

 जल जमना रो नीर 

मँगावो जी राज,

जठे ईसरदासजी सापड्या

 बहू गोराँ ने गोर पुजावोजी

 राज!!

______

5. पूजा के बाद 

दूब के साथ 8  या 16 बार

 पूजा करते हैँ -


गोर-गोर गोमती,

 ईसर पूजूँ पार्वतीजी,

 पार्वती का आला-गीला,

 गोर का सोना का टीका,

टीका दे,

 टमका दे ,

राजा-रानी बरत करे,

 करता-करता आस आयो,

 मास आयो,

खेरे खाण्डे लाडू आयो,

 लाडू ले बीरा ने दियो,

 बीरो ले गटकायो,

साड़ी में सिंगोड़ा बाड़ी में

 बिजोरा,

रानियां पूजे राज में ,

में म्हारा सवाग में,

रानियां को राज तपतो जाए, मारो सवाग बढ़तो जाए,

 स्वाग भाग कीड़ी ये,

 कीडी थारी जात है,

 जात है गुजरात है,

गुजरातयारो पानी आयो,

दे दे खुट्या तानी आयो,

आखा फूल कमल की डोरी,

एक, दो ,तीन, चार, पांच, छ,सात,आठ,नव, दस,

 ग्यारह,बारह, तेरह, चौदह,

 पंद्रह ,सोलह,

इसी तरह 16 बार पूजा करते

 हैं  जोड़ा बनाकर हाथ में ज्वारे लेकर

गोर -गोर गोमती .....!!

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6 .पाटा धोते वक्त गाने का 

गीत.....

🙏🙏🙏🙏🙏

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पाटो धोये पाटो धो , 

भायां की बहन पाटो धो, पाटा ऊपर पीलो पान , 

म्हे जाश्या बीरा की जान,

जान जाश्या पान खास्या, 

बीरा ने परंणान जास्या,

थाली में खाजा, म्हारो बीरो राजा थाली में पताशा बीरो करे तमाशा!!

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7. दातन का गीत

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दातन करये दातन कर

बीरा की बेन दातन कर,

दातन ऊपर पीलो पान 

मे जास्या बीरा की जान,

 जान जास्या बान जास्या,

 बीरा ने परणान जास्या,

 अली गली में गाड़ो जाय

 भाभी तारो लाडो जाय,

 डंडे-डंडे साप जाए 

भाभी थारो बाप जाय!!


8.गणगौर की कहानी-

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एक बार पार्वती जी अपने

 पियर जाने लगी  वहां पर

 उनकी भाभी का गणगौर का

 उजमना था तो शिव जी बोले

 कि मैं भी आपके साथ चलूं

 तब पार्वती जी बोली कि मैं

 आप को साथ में नहीं है ले

 जाऊंगी मुझे शर्म आएगी

 तो शिवजी बोले कि शर्म आए

 तो घूंघट निकाल लो ,

पार्वती जी बोले कि मुझे गर्मी

 लगेगी इतना कहकर पतला

 सा ओड़ना ओड़कर दोनों

 पियर जाने के लिए निकल

 गए जाते -जाते रास्ते में एक

 गाय उठक- बैठक करती थी

 जब पार्वती जी बोली कि यह

 गाय क्यों कष्टि है तो शिवजी

 ने कहा कि इस गाय को बच्चा

 होने वाला है इसलिए यह

 इतनी कष्टी  है पार्वती जी

 कहने लगी कि इतना दुख है

 तो मुझे बच्चा नहीं चाहिए, मुझे तो गांठ दे दो तो शिवजी

 बोले आगे चलो आगे गए तो

 घोड़ी उठक-बैठक करती थी

 पार्वती जी बोले कि यह घोड़ी

 इतनी कष्टी क्यों है तो

 शिवजी बोले कि इसको भी

 बच्चा होने वाला है इतना

 सुनकर पार्वती जी बोले कि मुझे गांठ दे दो मुझे बच्चा नहीं

 चाहिए शिव जी बोले आगे

 चलो एक राजा की नगरी में

 गए वहां नगरी के लोग उदास

 बैठे थे ढोल बाजे उल्टे पड़े थे,  पार्वतीजी ने शिवजी

 से पूछा कि यह सारी नगरी

 उदास क्यों है शिवजी बोले

 की रानी को बच्चा होने वाला

 है वह कष्टी है इस कारण सब

 उदास है पार्वती जी बोले कि

 बच्चे के लिए इतना कष्ट

 देखना पड़ता देखना पड़ता

 है मुझे  बच्चा नहीं चाहिए

 आप गांठ लगा दो महाराज

 लेकिन शिवजी ने गांठ नहीं

 दी और आगे चलने लगे तो

 पार्वती जी बोले कि अगर

 गांठ नहीं दी तो मैं आगे नहीं

 चलुंगी शिव जी ने  गांठ दे दी, दोनों पियर पहुंच गया वहां

 सभी औरतें पूजा कर रही थी

 वह सब कहने लगी कि

 शिवजी और पार्वतीजी आ

 गया चलो पूजा करा, सब पार्वती जी की पूजा करने लगी इधर सब सालिया जिमते समय शिवजी से

 मजाक करने लगी शिवजी ने

 पूरी ही रसोई जीम ली बाकी

 बचा-खुचा नांदिया के वास्ते

 ले लिया और पीपल के नीचे

 जाकर बैठ गए पार्वती जी मां

 से बोली कि मां मारे भूख लगी

 तो मां बोली की पूरी रसोई तो

 शिवजी जिम गए पार्वती जी

 ने सूखा बथुआ की रोटी

 खाली और एक लोटा पानी

 पीकर अपने पियर से विदा हो

 गई जहां शिवजी बड़ और

 पीपल के नीचे गए शिवजी ने

 पूछा कि पार्वती जी  कई

 जिमया तो पार्वती जी बोली

 जो आप जीमे में वही में

 जीमि शिवजी बोले नहीं

 पार्वतीजी सच बोलो तो पार्वती जी कहने लगी महाराज जो आप जीमें  वही

 में भी जिमी, ऐसे

 करते-करते पार्वती जी को

 नींद आ गई तब शिवजी ने

 पार्वती जी का पेट की ढकनी

 खोलकर देखी तो सुखी बथुए

 की रोटी और एक लोटा पानी

 पेट में था पार्वती जी की नींद

 खुली तब शिवजी बोले की

 रानी क्या जीमा तो पार्वती जी

 बोली जो आप जीमें में वही में

 जीमया तो शिवजी बोले

 पार्वती जी मैंने आपका पेट

 की ढकनी खोल कर देख ली

 उसमें सूखे बथुए की रोटी

 और एक लोटा पानी भर

 दिखा तब पार्वतीजी बोले कि

 शिवजी से महाराज आज तो

 आपने मेरी ढकनी खोली

 आगे से कोई और  ढकनी

 नहीं खुलनी चाहिए कोई को

 पियर गरीब रेवे  कोई को अमीर रेवे, ससुराल में पियर की और पीयर में 

 ससुराल की बात नहीं करनी

 चाहिए ऊस दिन से सबकी

 ढकनी बंद हो गई पार्वती जी

 गांव में पानी लेने गए गांव की

 सारी औरतें शिवजी की पूजा

 करने लगी तो शिवजी ने यहां

 पर सुहाग कुंडा सब औरतों

 ने बांट दीया इतने में 

पार्वतीजी आए शिवजी  से

 बोले कि यह क्या किया आपने सभी सुहाग बांट दिया

 अब बनिया रि औरतें पेन

ओढ़ कर आएगी पूजा करने

 उनको सुहाग क्या बाटूंगी तो

 शिवजी पार्वती जी बोली कि

 आपकी चिट्ठी उंगली चीरो

और छापे दे दो ,सब बानिया

 की ओरता पहन ओढ़कर  गांठआ पहनकर आई पूजा

 करी तब पार्वती जी ने अपनी

चिटी उंगली में चीरा देकर सुहाग का छाटा दे दिया  कोई

 की एड़ी में लगा कोई की चोटी में लगा कोई के के चूड़े

 में लगा कोई चुनरी में लगा

 ऐसे सबको सुहाग मीला

और बढ़ता गया आगे दोनों

 शिव पार्वती जी राजा की नगरी में आए सब दूर आनंद हो गया रानी के कवर हो गया हाथी पर बैठकर शंकर पान- पतासा बाटे राजा-रानी सोने

 के लड्डू लेकर जलवा पूजन

 निकली तो शिवजी से पार्वती

 जी पूछने लगे आज कैसा उत्सव  है शिवजी बोलिया

 रानी के कुंवर हुए हैं उसका

 आनंद है तब पार्वतीजी बोली

 कि कुंवर होने से इतना आनंद होवे तो मुझे भी कुंवर

 चाहिए मेरी  गांठ खोल दो तो शिव जी बोले कि अब नहीं खुलेगी आगे चले तो घोड़ी के बच्चा हुआ घोड़ी भी उसको चाट रही थी पार्वती जी शिवजी से बोले मेरी गांठ

 खोल दो तो शिवजी बोले

 आगे चलो गाय आगे खड़ी

 थी उसके पास उसका बछड़ा

 था उसको चाट रही थी पार्वती जी बोलिया मारी गांठ

 खोल दो मुझे बच्चा चाहिए

 शिवजी पार्वतीजी घर आ गए,  शिवजी ने गांठ नहीं

 खोली,

 शिवजी बारह बरस के लिए

 तपस्या करने चले

 गए पार्वती जी बहुत उदास

 बैठी थी बैठे-बैठे अपने

 शरीर का मैल निकालने लगी

मेल बहुत इकट्ठा हो गया था

 मेल  का एक पुतला बनाया

 और अमृत को छीटो दिया

 छींटा डालते ही कुंवर जिंदा

 हो गया एक दिन पार्वती जी

 नहाने गई और कुंवर को

 दरवाजे के पास बिठाया और

 बोले कि अगर कोई अंदर

 आए तो अंदर मत आने देना

 ऐसा कहकर पार्वती जी

 नहाने गया इधर शिव जी की

 तपस्या पूरी हुई और घर आ

 गए तो कुंवर बोले कि मां

 नहाने गई है अंदर मत जाओ

 शिवजी बोले थारी मां कौन है?

 लड़को बोलो कि मारी मां

 पार्वतीजी है शिवजी को

 बहुत क्रोध आया और मन में

 सोचा कि मैं तो 12 बरस से

 तपस्या करने गया था तो

 लड़का कैसे हुआ ऐसा

 कहकर लड़के की गर्दन काट

 दी और अंदर चले गए 

शिवजी को देखकर

 पार्वती जी बोली कि मैंने तो

 बाहर कुंवर बिठाया था आप

 अंदर कैसे आए शिव जी बोले

 कि आपको लड़का कब हुआ

 मैं उसकी गर्दन काटकर

 अंदर आया ऐसा सुनकर

 पार्वती जी विलाप करने लगी,

 तो शिवजी ने दूत भेजा कि

 कोई भी मां अपना बच्चा को

 पीठ देकर सोई हो उसकी

 गर्दन काट कर ले आओ दूत

 सब और घूमे परंतु कोई नहीं

 दिखा सिर्फ एक हथिनी अपने

 बच्चे को पीठ देकर सोई थी

 उसकी गर्दन काट कर ले

 आए और कुंवर को लगा दी, अमृत का छींटा डालते ही

 जिंदा हो गया पार्वती जी

 बोली कि म्हारा लड़के को

 सब चिढाएगा तब शिवजी ने

 लड़के को वरदान दिया कि

 सब लोग पहले आपके लड़के

 की पूजा करेंगे इतना सुनकर

 पार्वती जी बहुत खुश हुई, तभी से ब्याह-शादी और जो

शुभ  काम होते हैं उसमें

 गणेशजी की पूजा होती है, अधूरी हो तो पूरी करजो पूरी

 हुई तो मान करजो!!🙏

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9.गणपतिजी की कहानी🙏

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एक बार गणेश जी एक लड़के का वेष धरकर नगर में घूमने निकले,

उन्होंने अपने साथ में चुटकी भर चावल और चुल्लू भर दूध ले लिया,

नगर में घूमते हुए जो मिलता , उसे खीर बनाने का आग्रह कर रहे थे,

बोलते माई खीर बना दे ,

 लोग सुनकर हँसते,

बहुत समय तक घुमते रहे , मगर कोई भी खीर बनाने को  तैयार नहीं हुआ,

किसी ने ये भी समझाया की

 इतने से सामान से खीर नहीं

 बन सकती,

पर गणेश जी को तो खीर

 बनवानी ही थी,

अंत में एक गरीब बूढ़ी मां

 ने उन्हें कहा.....

बेटा चल मेरे साथ में तुझे

 खीर बनाकर खिलाऊंगी,

गणेश जी उसके साथ चले गए,

बूढ़ी मां ने उनसे चावल

 और दूध लेकर एक बर्तन में

 उबलने चढ़ा दिए,

दूध में ऐसा उफान आया कि

 बर्तन छोटा पड़ने लगा,

 बड़ी कढ़ाई चढ़ा दे ऐसा

 कहकर वह लड़का

(विनायक जी) खेलने चला गया,

बूढ़ी मां को बहुत आश्चर्य

 हुआ कुछ समझ नहीं आ रहा

 था, क्योंकि

मां ने घर का सबसे बड़ा

 बर्तन रखा,

वो भी पूरा भर गया, खीर

 बढ़ती जा रही थी,

खीर की मीठी-मीठी खुशबू

 के कारण डोकरी की बहु के

 मुँह में पानी आ गया

उसकी खीर खाने की  इच्छा होने लगी,

उसने एक कटोरी में खीर निकाली और दरवाजे के पीछे

 बैठ कर बोली –

 में खीर ठंडी कर के लाई

 दरवाजे के पीछे से विनायक

 जी को भोग लगा दिया ऐसा

 कहकर कि खीर पीलो,

खीर खा ली, 

बुढ़िया ने बाहर बैठे गणेशजी

 को आवाज लगाई,

बेटा तेरी खीर तैयार है, आकर खा ले,

गणेश जी बोले –

मां तेरी बहु ने भोग लगा

 दिया मेरा पेट तो भर गया,

खीर तू गांव वालों को खिला दे,

बूढ़ी मां  गांव वालो को

 निमंत्रण देने गई,सब हंस रहे

 थे,

मां के पास तो खुद के खाने के

 लिए तो कुछ है नहीं ,

पता नहीं , गांव को कैसे खिलाएगी,

पर फिर भी सब आये,

बूढ़ी मां ने सबको पेट भर

 खीर खिलाई,

ऐसी स्वादिष्ट खीर उन्होंने

 आज तक नहीं खाई थी,

सभी ने पेट भर खीर खाई

 लेकिन फिर भी खीर की कढ़ाई  की किनोर  भी खाली

 नहीं हुई,

मां बोली कि महाराज सब

 जिम गया फिर भी खीर बहुत है विनायक जी महाराज खीर के छह नहीं आयो वैसे म्हारा

 घर को भी छेव मत आजो ,

भंडार भरियो राखजो!!

जो अधूरी हो तो पूरी करजो पूरी हुई तो मान करजो,

बोलो गणेश जी महाराज की

 जय !!🙏🙏

_____

10.कहानी के बाद बोलना

Kahani ke baad bolna

_____


आड़ी-बाड़ी सोना कि बाड़ी ,

 जीमे बैठी कान कुमाड़ी,

कान कुमाड़ी काई

 मांगे ,

छतीस ही करोड़ देवता की ,

बाडीजी सिया काई  होवे, अन्न  होय ,धन होय, लाज

 होय ,लक्ष्मी होवे , बिछड्या

 न मेलो होय , निपुत्र ने पुत्र

 होय,

सासू को पुरसन , बहू को

 जीमन , उठ भाई तपसी जीम

 भाई लपसी,

 भाई  को थान,भाभी को  मान,

 थारे थारी बार्ता को फल

और मारे बरत को फल !!

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11.Jhale Warne

गणगौर के झाले वारने

राजस्थानी झालेवारने

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1.गोरि रा पीवपातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर

 आय.....

साइकिल को कई बैठनो जी ओ राजभंवरजी साड़ी को

 सत्यानाश ,

एक बार ऐसी पड़ी जी ओ राज भवर जी टूटियां हाथ

 न पांव !!

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 2.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय.......

जयपुर के बाजार में जि ओ राज भंवर जी चार लुगाया जाए ,

दो गोरी दो सांवली जि ओ राज भंवर जी दो-दो फलका

 खाय!!

______

3.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरसा झाला लेकर आय.......

 जयपुर का बाजार में जी ओ राज भंवर जी चार लुगाया

 जाय ,

लांबो-लांबो  घूंघटो जी ओ राज भंवर जी पीठ उगाड़ी

 जाय!!

______


4.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय.......

छ छल्ला छ मुंदड़ी जी ओ राज भंवर जी छल्ला भरी

 परात,

एक  छल्ला रा कारण जि ओ

 राजभंवर जी छोड़ीया माय न

 बाप !!

______



5.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय.......

सात सुपारी जी चिकनी जी ओ राज भंवर जी फोडू एक ही

 साथ,

 घना दिनारा ओल्मा जि ओ

 राजभवरजी काडू एक ही

 साथ!!

______


6.गोरिरा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय......

दाल-चावल की रसोई बनाई

 जी ओ राज भंवरी जी फलका

 देवर जेठ,

 पहले जीमाऊ सायबा

 जी ओ राज भवरजी बाद में

 देवर जेठ !!

______


7.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला ले घर आय.....

दाल चावल री रसोई बनाई

जी ओ राज भंवर जी मटर

 पनीर रो साग ,

प्याज रो कई खावनो

 जीओ राजभंवरजी मुंह म 

 आवे बास !!

_____


8.गोरिरा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय.....

म्हारी सासु का पांच पुत् जि

 ओ राजभवरजी दो देवर दो

 जेठ,

 अधबिचला मारा साहिबा

 जीओ राज भंवर जी छोड़

 गया परदेस!!

_____


9.गोरिरा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय......

सूरज मारा सुसरा जीओ 

राजभंवरजी तारा देवर-जेठ, ननंदल आभा बिजली

जी ओ  राजभवर जी चमके चारों देश!!

_______


10.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय....

पेन को काइ लिखनो जी ओ

 राजभवरजी कागज को

 सत्यानाश ,

व्हाट्सएप पर मैसेज भेजु थाने  जी ओ राज भंवर जी

 नेट डलाई दो आज !!

_____


11.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय

महादेवजी जावती जी ओ

राजभंवर जी जोडू दोनों हाथ,

 या जोड़ी ईबचल राखियो जी

 ओ राजभंवरजी 

तीन लोक रा नाथ !!

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12.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय........

अयोध्या म्हारो सासरो जी ओ

 राज भंंवरजी जनकपुरी

 म्हारो पीर,

रामजी म्हारा सायबा जी ओ

 राज भंंवरजी चोखा है

 तकदीर!!

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13.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय......

 नथ को मोती चमकिलो जी

 ओ राजभंंवरजी कंगन

 ससुरजी लाय,

देरानी-जिठानी लड पडी जी

 ओ राज भंंवरजी साजन

 लिया मनाय!!

______


14.गोरि रा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला ले घर आय......

मैं बाबूल री लाडली जी ओ राज भंवर जी मायड़

 जन्म देवाल,

 अबे म्हारा देवता जी ओ राजभवर जी लेवो म्हाने  संभाल !!

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15.गोरिरा पीव पातलीया 

राजभवरजी झाला लेकर आय......

मैं दीपक री बात हूं जीओ

राजभवरजी  थे दीपक रो तेल,

 प्रेम की ज्योत जगाओ जी ओ राजभवर जी करो हिवड़ा रो

 मेल !!

🙏🙏🙏🙏🙏

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💦Gangour ke dohe💦

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 गणगौर को पानी पिलाते वक्त

 पति का नाम लेकर बोले जाने

 वाले दोहे, गणगौर के गीत, गणगौर के उखाने, हल्दी

 कुमकुम के दोहे हिंदी में🙏_____


1. शब्द और अलंकार 

मिले तो बनती है कविता, साजन जी के नाम की

 मन में बहे सरिता !!


2.साजन जी मेरे ईसर

 में उनकी गौरा,

 मुझे ब्याहने आए थे 

सर पर बांध के सेहरा !!


3.ईश्वर जी की करो आरती

 सजा के पूजा का थाल ,

साजन जी जब जिमने 

 बैठे परोसु मोहनथाल!!


4.गोरा जी श्रंगार किया

 पहन के नाक में नथनी,

 मैं साजन जी की जीवन

 संगिनी !!


5.पाना फूला भरी परात

 सुहाग भरा छाबड़ा,

 गर्मी की ऋतु आई 

साजनजी लाए आम का

 छाबड़ा!!


 6.केसर की क्यारी में हरिया

 जवारा,

 साजन जी के साथ खुशी से

काटू जीवन में यह सारा!!


7. दो दूनी चार हुआ रे,

साजन जी से प्यार हुआ रे!!


8.में गंगा-गामिनी ,

में यमुना -यामिनी ,

तुम कृष्णा,में कामिनी,

तुम्हारे साथ  में सर्वांगिणी ,

तुम प्रियतम मेरे मैं तुम्हारी अर्धांगिनी!!


9.सारी दुनिया एक तरफ

सजनजी हम आपके संग हो

 गए ,

दिल से दिल के की डोर बंध गई  मन पतंग हो गए !!


10.चाँद को  चाँदनी मिली,

सूरज को रोशनी मिली,

जबसे हमे आपका साथ मिला साजनजी,

एसा लगता हैं दुनियां की हर

 खुशी मिली!!

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गणगौर के त्योहार की संपूर्ण

 जानकारी  एवं पूजा विधि

एक साथ 🙏🙏

Sandhya Maheshwari

3 Responses to "गणगौर के त्योहार की संपूर्ण जानकारी एवं पूजा विधि एक साथ 🙏🙏"

  1. Nice collection we have got all the material of gangour.
    Congratulations dear Sandhyaji💐💐

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  2. Superbb ..grt information.abhi ke Samy mein bahut jarurat hai apne tyoharo ki purn jankari..

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