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शिशु के  जन्म से पहले से लेकर जन्म के बाद तक मनाए जाने वाले पारंपरिक रीति- रिवाज एवम्  संस्कार!!

शिशु के जन्म से पहले से लेकर जन्म के बाद तक मनाए जाने वाले पारंपरिक रीति- रिवाज एवम् संस्कार!!

janmsanskar

🙏श्री गणेशाय नमः🙏

 शिशु के  जन्म से पहले
से लेकर जन्म के बाद
तक मनाए जाने वाले
पारंपरिक रीति- रिवाज एवम्
 संस्कार!!
🎷🥁🎺💃🙌
BY
Sandhya Maheshwari
Sendhwa ~ Indore

🤝संस्कार🤝
🎺🎷🥁🙌🙏
 गोद भराई,( बेबी शावर)
शिशु का जन्म,
आंचल खोलना,
सूरज पूजा,
 जलवा पूजन,
बांदरवाल बांधना ,
जामना ( मायके वालो की
तरफ से आशीर्वाद रुपी
 उपहार)
नामकरण,
मुंह एठने का दस्तूर,
🎷🎺🥁🤗🙏

गोद भराई ( अगरनी):

गोद भराई रस्म का महत्व
जैसा कि हमने बताया
 भारतीय परंपरा में लोग
 गर्भावस्था के दौरान सातवें  महीने में गोद भराई की रस्म
 आयोजित करते हैं, लेकिन
 कई लोग इस रस्म के पीछे जो महत्व है, उससे अनभिज्ञ
 होते हैं। इसलिए, यहां हम
 गोद भराई का महत्व समझा
 रहे है :
सबसे पहला कारण तो यह है
 कि इस रस्म के जरिए होने
 वाले बच्चे के अच्छे स्वास्थ की कामना की जाती है। ऐसी
 मान्यता है कि इस विशेष
 पूजा से गर्भ का दोष खत्म हो
 जाता है।
इस दौरान गर्भवती को
 उपहार के रूप में बहुत से फल और सूखे मेवे दिए जाते
 हैं, जो काफी पौष्टिक होते
 हैं। इन्हें खाने से गर्भवती और
 बच्चे की सेहत बनी रहती है।
ऐसा माना जाता है कि
 गर्भावस्था के दौरान
 चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ
 खाने से डिलीवरी होने में
 आसानी होती है। यही कारण
 है कि गोद भराई में गर्भवती
 को वसा युक्त चीज़ें जैसे
 मिठाई व नाश्ताआदि दिए
 जाते हैं,
 जच्चा-बच्चा दोनों को
 शुभचिंतकों का आशीष
 मिलता है!!

गोद भराई कैसे की जाती है:

देश के विभिन्न हिस्सों में गोद
 भराई के अवसर पर निभाए
 जाने वाले रीति-रिवाज
 अलग हो सकते हैं, परंतु उन
 सबका सार एक ही है-
 आने वाले बच्चे  को आशीर्वाद
 देना और गर्भवती माँ को भी
 आशिर्वाद और उपहार देना,

कुछ घरों में, परिवार की
 बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं द्वारा
 विशेष तेलों के साथ गर्भवती
 माँ को अभिषिक्त किया जाता
 है। फिर वह एक विशेष साड़ी
 पहनकर तैयार होती है और
 उसे फूलों से सजाया जाता
 है। उत्सव शुरू करने से
 पहले एक पूजा की जाती है!!

परंपरागत रूप से, बेबी
 शावर सिर्फ महिलाओं का
 कार्यक्रम होता है। समारोह में
 होने वाली माँ को आभूषणों से
 सजाया जाता है, चूड़ियाँ
 पहनाई जाती है। उपहारों,
 फलों व मिठाइयों से गोद भरी
 जाती है। गर्भवती माँ के लिए
 ख़ास व्यंजनों बनाए जाते है!!


 जापे (डिलीवरी)
 में लगने वाली सामग्री:

सोंठ, अजवाईन, गोंद,
 बादाम, पिस्ता, खसखस,
 हल्दी, मखानी, शक्कर का
 बूरा, गुड़, खारक,
 पीपलामूल, लेंडी पीपल,
 कमरकस, धोली मूसली,
 जायफल, नारियल के गट,
 और दसमूल काड़े का सीसा,
 ये काड़ा दवाई पूरी होने के
 बाद कम....
से कम दो बोटल ले,

कड़वा पानी :- 
एक गिलास पानी में थोड़ी
 अजवायन दाना, मेथी दाना,
 गुड़ और घी मिलाकर उबाले
 एक तिहाई होने पर पांच दिन
 तक ले। 
जच्चा का पान : 
जायफल, जावित्री, चिकनी
 सुपारी, लोंग डालकर रोज
 खाना। अजवान पीसी
 अजवान, गुड़, किसा
 खोपरा, बदाम, पिस्ता,
 खसखस थोड़ी सी,
हल्दी व थोड़ा सा कमरकस,
 घी गरम करके उसमें मिला
 के दे। 
सौंठ : - 
पीसी सौठ, शक्कर का बूरा,
 खोपरा, बदाम, पिस्ता,
 खसखस, धोली मूसली घी
 गरम करके गोंद डाले, बाद
 में सब सामान डालकर
 छोटे-छोटे लड्डु बना कर
 रोज दे। जच्चा को बादाम का
 हलवा और आटे गूंद के
 लड्डु रोज देना चाहिये। रोज
 पानी उबालकर करके ठंडा
 करके पिलाना चाहिये!!
शिशु का जन्म:

डिलेवरी होने के कुछ समय
 बाद  शिशु को परिवार  के
  पास लाकर देते है तब
 सबसे पहले घर का जो भी
 बड़ा  उस समय वहा हो वह शिशु के कान में
  मंत्र  धीरे धीरे सुनाता है
 तथा शिशु के ललाट (सिर)
 पर ऊँ अरहम सोने की
 अंगूठी या सोने की चीज से लिखते है,
घर के बड़े सभी छोटे को
 शिशु जन्म की बधाई देते है,
घर आकर छत पर बेलन से
 थाली बजाते है थाली चांदी,
 कासी, स्टील की जो भी
 उपलब्ध हो ,बच्चा
 होने पर थाली बजाते है। शिशु की पहली घूटी बड़ो के
 हाथ से दी जाती हे। फिर 
 शगुन के तौर पर शुद्ध गुड या
 शहद  शिशु के मुंह में चखाते
है, यदि घर के बड़े
उस समय वहा पर ना हो तो
 बच्चे के माता-पिता भी यह
 कार्य कर सकते है!!


  शिशु का स्वागत:

 नन्द, बहन, जेठानी या उस
 वक्त जो भी वहां हो उससे
 करवाते है। स्वागत करने के
 लिये, एक थाली में फूल,
 चावल, मेंहदी, मोली, पानी
 का कलश, कंघा, नारियल,
 हरी दूब और एक लोटे
 में गरम पानी रखते है फिर
 ननंद, बहन जो भी हो वह
 जचकी को तिलक करती है,
 फिर शिशु को तिलक निकालते हैं!!
जच्चा और बच्चा
दोनों के हाथो में मोली बांधते
 हैं, फिर आरती करते है
एवम् वो घर में प्रवेश करते है!!

आँचल खोलना:

फिर जच्चा का आंचल खोलते  है। 
 इस रिवाज में कंघा सात बार
 आंचल पर फैरते हैं। जिससे
 दूध झरझराता हुआ आता
 है, फिर 4-5 हरी दूब कच्चे
 दूध में भिगोकर सात बार
 आंचल पर फेरते है। फिर
 गरम पानी से आंचल धोते है,
 फिर मां शिशु को दूध
पिलाती है 
 इस तरह का मन में संकल्प
 करके की इतना दूध आये की
 शिशु का पेट आराम से भर
 जाये!!

सूरज पूजा:

पंडित जी से पूछकर सूरज
 पूजा का मुर्हत निकलवाया
जाता है,जिस दिन का मुर्हत
 निकालता है, उसके एक दिन
 पहले जचकी के नाखून पर
 मेंहदी लगाते है। एक दिन
 पहले नीम के पत्ते, अजवाइन
 की पोटली और बास पत्ती
 को साथ पानी में  उबाले। सुबह
 इसी पानी से माता एवं शिशु
 को नहलाया जाता है, सुबह
 फिर से पानी गरम करें!!

 पिठी:
 आटा, घी, हल्दी ,पानी
 मिलाकर बनाई  जाती है।
 शिशु को पहले नहलाते है
 बाद में मां को नहलाते है,
 बच्चे को गुलाबी या केसरी
 रंग के कपड़े पहनाना।
 पानी में जो नीम पत्ती डाली
 थी उसे पानी से निकाल कर
 पटटे पर बिछाकर और उस
 पर जचकी को बैठावे (सेक
 लगना चाहिये अजवाइन
 की)। जच्चा को नहलाकर
 फिर गुलाबी साड़ी पहनाए,
 सूरज पूजा के समय मां
 को पीले की साड़ी पहनावे,
 चूड़ी बदल दें, जेवर
 पहनाए,
 पूजा करवाते समय शिशु को
 गोद में लेते हैं।
 जचकी के पलंग
 को सूना न छोड़े किसी बच्चे
 को बैठाकर जाए, पलंग से
 उठते वक्त देवर भाभी का
 पल्ला पकड़े और पूजा स्थान
 तक ले जाते है। जचकी के
 पीले की साड़ी पीहर से आती
 है और बच्चे के कपड़े भी वही
 से आते है। 
पूजा के बाद कपड़े पहले वाले
 पहने, सिर में घी लगवाये,
 काय फल मांग में हर जगह
 भरे या पिपलामूल भरे,
 मालीश वाली  चोटी
 करती है घी सिर में दबाकर!!

सुरज पूजा सामग्री:

आखा मूंग, धनिया, कुकु, चावल, मोली, दिया, तेल, बाती, माचिस, पानी का कलश, नारियल, पान पत्ता, सात सुपारी ,आटे के फल, दूब (घास हरी), कोयले
 की आग, लकड़ी के दो पाटे
 (एक पूजा की सामग्री के लिये, एक मां के बेठने के
 लिये), आरती की थाली!!

 सुरज पूजा विधि:

पूजा के पाटे पर पानी का
 कलश रखे, कलश के नीचे
 गेंहू रखे, कलश पर पान
 लगावे और उस पर नारियल
 रखे, पाटे पर पान का पत्ता
 रखकर उस पर सुपारी आटे
 के फल रखे और कुकु चावल
 लगाए, पाटे के सामने
जच्चा को बैठाये,उस पाटे के
 नीचे चोका पुराये, मतलब
 पाटे पे शिशु को गोंद में लेकर
 जच्चा को पाटे पर बैठाये, शिशु का मुह ढककर रखे, पूजा के दिये की लौ और सूरज की रोशनी बच्चा देख न पाये, यह पूजा ऐसी जगह
 रखे जहां सूरज भगवान दिखे, सबसे पहले कलश पर सातिया बनाएं, फिर पाटे पर
 कुकु से चांद सूरज मांडे, घर
 पर जो खाना बना हो 
लापसी, चावल, पूड़ी एक
 थाली में भोग के लिये
 निकाले, साथ में जच्चा को
 दी जाने वाली अजवाइन भी
 निकाले। जो धूप (कोयले की
 आग) है उसमें भोग लगावे,
 फिर ननंद या बहन जच्चा को
 और शिशु को तिलक लगाये, और मोली बाधे और
 आरती करे। पूजा होने के
 बाद पूजा के पाटे के चारो
 और चक्कर लगावे, और
 सूरज भगवान के हाथ जोड़े,
 वापस अपने पलंग पर आये
 देवर भाभी का पल्ला पकड़
 कर पलंग तक लाता है। फिर
 पूजा की जगह जो थाली में
 भोग निकाला था उसको
 चावल में मिलाकर गोले
 बनाकर जच्चा के ऊपर से
 उतारकर चारों तरफ फेक दे,
 पूजा की सामग्री गाय को
 खिलाये,
नोट:- ऐसा इसलिये किया
 जाता है क्योंकि खुले में पूजा
 की जाती है तो जचकी को
 नजर न लगे और कोई 
 तकलीफ न होवे। उस वक्त
 सबको वहां से हटा दिया
 जाता है सिर्फ मां और शिशु
 और (नायन मां) वहां पर
 रहती हैं पल्ला पकड़ने वाले
 को अपना इच्छानुसार नेग
 दिया जाता है। महिलायें
 जच्चा बच्चा के गीत गाती
 हैं।
जैसे:- दांई , अजवाइन,
 सूजर, झूला, बधाई ,
 पिपली, घूटी, झबला, टोपी,
 आदि गीत गाये जाते हैं!!


जलवा पूजन:

जलवा पहले पक्ष में पूजते हैं, 
तीसरे पक्ष में नहीं पूजते हैं, जैसे- 1 महीने में 2 पक्ष होते
 है। 15 दिन का एक पक्ष होता है, अगर ग्यारस पूनम के
 बीच डिलेवरी होती है तो
 पांच दिन इस पक्ष के और 15
 दिन दूसरे पक्ष के इस तरह
 20 दिन होते हैं, इस बीच
 जलवा पूजते है, अगर इस
 समय नहीं पूजे जलवा तो
 सवा महिने बाद पूजन करें, मुहरत दिखाकर 11 दिन 27
 दिन या 31 दिन मुहूर्त के अनुसार  पूजते हैं!!

जलवा पूजन:

पंडित जी से पूछकर जलवा
 का मुहर्त निकालते है। मुहर्त
 के एक दिन पहले जच्चा के
 हाथ पाव में मेंहदी लगती
 है। जलवा वाले दिन जचकी
 और शिशु को नीम के गरम
 पानी से नहलाते है। पहले
 शिशु को नहलाकर गुलाबी
 या पीले रंग के कपड़े पहनाते
 हैं। जचकी खुले बाल रखे
 (चोटी न करे)। अच्छी साड़ी
 पहनकर तैयार होती है। पीले
 की साड़ी ओढ़कर गाजे बाजे
 से शिशु को लेकर मंदिर
 जाये, महिलाए गीत गाते हुये
 मंदिर ले जाती है। जच्चा जब
 शिशु को लेकर मंदिर पहली
 बार जाती है तो उसे देवांगना
 कहते है। मंदिर में जच्चा के
 हाथ से स्वस्तिक बनवाये,
 प्रसाद चढ़ाये, जचकी के
 हाथ में गीला कंकू लगाकर
 पाटे पर छापा दिलवाये, फिर
 घर आकर सास, काकी
 सास,जेठानी, ननद,
 देवरानी इनमें
 से जो भी  हो वो
 जच्चा की चोटी करती है, फिर जच्चा इच्छानुसार नेग
 देती है,
 उसके बाद जच्चा को बोर या
 बिंदिया लगाये। पीले की
 साड़ी पहनाकर या ऊपर से
 ओढ़कर पानी का कलश
 हाथ में लेकर कुआ पूजने
 जाते है। जाते समय शिशु को
 घर में ही बड़ो के पास
 छोड़कर जाते है!!

कुआ पूजने की सामग्री: 
गुड़, पान, सुपारी, कंकू
 चावल,आटे के फल (सात),
 मोली,आखा मूंग, धना ,गेंहू,
 चना,गेंहू उबालकर गुगरी
 बनावे,
 एक ब्लाउज पीस, पानी का
 कलश आदि!!

जलवा पूजा की विधि -

 कुंआ की पाल
 (मुंडेर) पर पूजा की जाती है,
 जच्चा कुए की पाल पर चांद,
 सूरज, स्वास्तिक या ओम
 (ऊँ) बनाये और  फल, आखा
 मूंग, धना चढांकर हाथ
 जोड़े, फिर ब्लाउज पीस या
 इच्छानुसार रूपये चढ़ावे,
 कलश के पानी में दो बूंद दूध
 की निकालकर डाले और
 कलश का पानी कुआ में डाले
 और बोले जैसे कुंये की झिर
 बढ़ती है, वैसे ही मेरा दूध
 बढ़े। ऐसी प्रार्थना करे, फिर
 घर लौट आये घर के दरवाजे
 पर जच्चा सिर पर कलश
 लेकर खडी रहे, फिर देवर,
 जेठुता कोई  भी सर से कलश
 उतारे, ननद आरती करे
 और फिर जच्चा को घर के
 अंदर लाए, जचकी के ऊपर
 से राई  नमक उतारे और
 चारो ओर कोनो में फैके,
 कलश उतारने व आरती का
 नेक अपनी इच्छानुसार दे,
 घर के देवी देवताओं के
 नारियल बंघारे, जच्चा फिर
 घर के बड़ों के पाँव (पगे)
 पड़े!!

नामकरण:

कुवा पूजन जाते मां ने जो
 पीले रंग की साड़ी ओढ़ रखी
 थी उसी में चार बच्चे चारो
 कोने पकड़कर बीच में बुआ
 शिशु को हाथ में रखकर
 झूला झुलाती है और थोड़ा
 सा मूंग, 1 रू. चावल झोली
 में डालती है। फिर बच्चे को
गोद में लेकर शिशु के कान में
 नाम बोलती है!!
बुआ और झूला झुलाने वाले
 बच्चों को शगुन दिया जाता
 है!!

मुंह एठने का दस्तूर:

इस रिवाज के अन्तर्गत
 जच्चा  किसी रिश्तेदार के
 यहां भोजन करने जाती है, या  घर में ही गुड का चुरमा
 बनाकर खिलाते है जिनके यहां  मुहं ऐठने जाते उसके
 पाव पड़कर रूपये देती है, सामने वाला भी जच्चा बच्चा
 दोनों को उपहार देता है।
 खाने में गुड का चुरमा जरूर
 बनाये बाकी सादा भोजन
 कुछ भी बनाया जाता है!!
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गोद भराई ( अगरनी),
सूरज पूजा और जलवा पूजन
 में गाए जाने वाले गीत...
🥁🎺🎷👌🤗
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अगरनी के गीत:

ससुराजी का राज में अगरनी
 बँटाओ जी राज,
 सासुजी का राज में घेबरिया
 छंटाओ जी राज, 
तिल केशर के जावताजी शिव
 के जोड़िया हाथ, 
जेठजी का राज में  दोय बाजा
 बजाओ जी राज ,
भाभी का राज में  दोय पंखा
 दुलाओ जी राज !!
 (आगे और नाम लेते जाना)
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अगरनी -
गोरी - गणेश मनाओं,
 यशोदा को अगरनी पुजाओ, 
अगरनी पुजाओ कुल देव मनाओ,
  हाथ जोड़कर शीश नमाओ, 
 चन्दन से अंगना लिपाओ,
 तो मोतीयन चोक पुराओ,
  रतन जड़ित का कंगना हाथो में, 
 बेल बूटी वाली मेहंदी रचाओ,
  दिन खातिर रखियो
 संभालोतो वो ही जरी वाली
 बेस पिराओ!!
 नो मण मेवा में तो दस मण
 पताश तो यशोदा राणी की
 गोद भराओ,
 बहार खड़े नन्द बाबा मुस्काए
 हरस-हरस के घेवर बटावो
 चंदन चौक पर जज्चा रानी
 बैठी तो सभी को देती बधाई,
 सात सखी मिल मंगल गावें,
 सारा परिवार खुशियां
 मनाएं!!
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अगरनी :

बोले बोले रे सजन से गौरी
 होले होले,
 नया बच्चा आवे म्हारो मन
 बोले,
 पहलो मास चढ्यो रे बहू ने
 मन में आस जगाई,
दादी-नानी खुश मनावे,
 बांटने लगी मिठाई,
 बोले- बोले रे बाबा सा,
 बहुरानी से बोले,
 पांव धरो रे बहु होले होले!! बोले- 2 सासुजी से छाने- छाने खावे बहु खटाई,
मंद-मंद मुसकाये सासु, 
बात समझ में आई,
बोले- बोले रे ससुराजी से
 हंस बोले,
 पोतो आवेलो घर होले होले, बोले-बोले.
 जिया घबराये, चक्कर आये, दिख रही सारी निशानी नयो
 बच्चा आने वालो है, 
जान गई जिठानी, लाये-2
 जी जेठनी, 
डाक्टर लाये भारी पांव हुआ
 बिटिया का,
 माता-पिता हर्षाये,
मिठाई को डिब्बो लेकर
 भाई-भावज आये,
ओदो-ओबे जी चुंदड़िया नाचे
 घर में चारों ओर,
 गुंजेगी किलकारी प्यारी नाचे
 मन मोर पहनो-पहनो जी भागीजी हरो-लाल चुड़लो
 खालो घेवर, फीनी साध पूरी
 कर लो,
बाले-बोले...!!
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पगलिया:

झिलमिल सितारों का पलना
 होगा ,
पलने में प्यारा ललना
 होगा,
 आज तो खुशी में हम सुनार
 घर जायेंगे ,
सोने के सुन्दर पगलिया
 बनवायेंगे,
 नानाजी घर पगलिया
 झिलाना होगा ,
पलने में प्यारा ललना होगा!!
 (चांदी हीरा के नाम)
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पलना:
रेशमी है डोर पलना जाली
 का,
 झूल रहा है लाल जच्चा रानी
 का ,
 जब-जब मुन्ना रोवे वां की
 दादी झूला देवे,
 गा रही है गीत निंदिया रानी
 का झूल रहा है लाल जच्चा
 रानी का!!
 रेशमी है डोर...
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पलना:
मेरा प्यारा ललनवा, 
झूलेगा पलनवा ,
खुश होंगे उसके पापा,
 चाचा बजाएगा बाजा,
 सासु रानी आएगी, 
चरवा चड़ाऐगी मांगेगी
 अपना नेग,
सबसे ज्यादा नेक चुकाना
 मत करना इंकार,
 चाचा बजाएगा बाजा...
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टोपी:

नानिया थारा दादाजी दलाल,
 दलाली टोपी लाया रे,
 हां रे दलाली टोपी लाया रे , नान्या तू तो पेर बजारा जा
 जो, 
दादी का मन राजी रे,
 नान्या थारी टोपी में हीरा
 मोती लाल, सितारा, झालर
 चमके रे ....
(परिवार के नाम लेना)
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झुनझुना:

लंदन से बन के आया है मुन्ने
 का झुनझुना,
ललन की दादी ने फरमाया,
 ललन के दादा ने मोल मंगाया,
 है जहाजों में चड़के आया है,
 मुन्ने का झुनझुना, रेलों में
 चढके आया है मुन्ने का
 झुनझुना.....
-------------------------------------
सूरज पूजा:

मंगल घड़िया आई, 
जच्चा को मिल रही बधाई, धन्य घड़ी शुभ आई, 
जच्चा को...
 कलकत्ता से पीला मंगाया,
 गोटा किनारी लगाई,
 जच्चा को.. 
पीला पहन जच्चा पटिये पे
 बैठी ,
गोदी में ललना लाई, 
जच्चा को... • 
लाल-गुलाबी पहन के चुड़लो
 पहनावे ननद बाई,
 जच्चा को... 
ललन को लेकर मन्दिर चली,
 प्रभुजी का आशीर्वाद पाई,
 जच्चा को......
----------------------------------
सूरज पूजा:

इंजन पीछे रेल है,
 जिन्दगी का खेल है,
 आजा मेरी जच्चा रानी तेरा
 मेरा मेल है।
 दाई जो आवे नाला खटावे,
 मांगे अपना नेग गिन्नी
 अनमोल है,
 सोने का कंट्रोल है, आजा.....
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जच्चा सुहाग

आओं सुहागन रानी मंगल गावो सात सखी मिल जच्चा को सजाओं

तांबे के हंठे में ताता सा पानी सात सखी मिल जच्चा को नहलाओं
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कुवां पूजते समय:

गोरे-गोरे हाथों में मेहंदी रचा
 के,
 नेनों में कजरा डालके चली, जच्चा रानी जलवा पूजन को
 छोटा सा घुंघट निकाल के
 शीशों में शीश फूल पहने, जच्चा रानी टीके को रखना
 संभाल के,
 पांव पांव धीरे-धीरे रखना, जच्चा रानी पीले को रखना
 संभाल के ,
चली जच्चा रानी जलवा
 पूजन को छोटा सा घुंघट
 निकाल के ......
(सभी नाम लेना)
--------------------------------------
पीला :

ओढो न पीला केशरिया,
 हरियाली जचा। 
दिल्ली, बम्बई से पीला
 मंगाया, 
खर्चा है लाख रुपैया ॥
 हरियाली... नन्ही बन्धन से
 पीला बन्धाया,
 केशरिया  रंग रेगवाया ॥
 हरियाली....
पहन के पीला जच्चा सोफे पे
 बैठी, 
सास ननद मुख मोड़ा ॥
 हरियाली...
 क्या तेरा पीला जच्चा मायके
 से आया,
 न हो सासरिये से आया ॥
 हरियाली... 
नही मेरा पीला मेरे मायके से
 आया,
 न हो सासरिये से आया ॥
 हरियाली... 
सासुजी का जाया प्यारी
 नन्दल के भैया राजा पे पीला
 रंगवाया। 
हरियाली... 
सुनो मेरी मम्मी रानी गुस्सा न
 करना, 
जच्चा ने वंश बढाया।
 हरियाली... 
ओड़ के पीला जच्चा सूरज
 पूजें, देवों ने फूल बरसाया। हरियाली...
 ओढ़ के पीला जच्चा जलवा
 पूजे, 
देख नगर हर्षाया ॥ हरियाली......
------------------------------------
कुवां पूजते समय:

गोरे-गोरे हाथों में मेहंदी रचा
 के,
 नेनों में कजरा डालके चली, जच्चा रानी जलवा पूजन को
 छोटा सा घुंघट निकाल के
 शीशों में शीश फूल पहने, जच्चा रानी टीके को रखना
 संभाल के,
 पांव पांव धीरे-धीरे रखना, जच्चा रानी पीले को रखना
 संभाल के ,
चली जच्चा रानी जलवा
 पूजन को छोटा सा घुंघट
 निकाल के ......
(सभी नाम लेना)
----------------------
चुंदड़ी:

नया फेंशन का चलवना ले दो
 चुंदड़ी ले दो चुंदड़ी बलमवा
 ले दो चुंदड़ी ,
 स्नो, पावडर, क्रीम,
 लिपिस्टीक और होठों की
 लाली नायलॉन की साड़ी,
 सेडिल ऊँची एड़ी वाली।
 मेरा जियरा है मगनवा ले दो
 चुंदड़ी......
स्नो, पावडर, क्रीम, लिपिस्टक कहाँ से लाऊ रानी,
हर महिने में पैसे की होती है
 खींचातानी मेरी छोटीसी अमदनी मानो हमारी ले दो...
गया दशहरा सुन सजनवा
 बीत गयी दिवाली।
 सब सखियों ने जेवर पहने
 मोरे कान नहीं बाली,
 ले दो चुंदड़ी ॥

साखियाँ देवे मोहे ताना मानो हमारी । नॉयलन की साड़ी लाया सुन फेंशन की गुड़िया। ले दो चुंदड़ी ॥
तनखाह के उपर खर्चा हो गया खाना सुखी पूड़िया

मेरी बिक जायेंगी दुकनियाँ मानो हमारी ॥ ले दो चुंदड़ी ॥
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चुड़ा:

चुड़ा लावो जी, चुड़ो लावो
 साजन जी चुड़ा लावो,
 चुड़ा लाया जी, चुड़ा लाया
 भाया की बहन चुड़ो लाया,
 नहीं पेराजी नहीं पेरा म्हारी
 गोद भराई दो जद पेरा,
लाडु लायाजी, पेड़ा लाया,
 पाका पान रा उपर बीड़ा लाया, 
अब पेराजी, अब पेरा म्हारी
 गोद भराई दी अब पेरा...
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राखी:
म्हारा मातान मेमंद ल्याय
 राखी सोना की,
 धड़ ल्याई अजब सुनार
 राखी सोना की,
 पोल्याई रे पटवा लाल, 
राखी सोना की,
 म्हारा सासूजी न उरा,
 ये बुलाय राखी सोना की, म्हारा सासूजी न बेग बुलाय
 राखी सोना की,
 म्हारा राखी को नेग दिराय
 राखी सोना की ,
म्हारी भाभीसा ने बेग बुलाय
 राखी सोना की,
 म्हारी राखी का जतन कराय
 राखी सोना की.....
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नाम:

बंटी रखा जाय पिकी रखा
 जाय,
 बोल जच्चा बच्चे का क्या
 नाम रखा जाय ॥
 सासू बुलाई वो नहीं आई,
 आने से करदी उसने मनाई ,
 नाता तोड़ लिया या जोड़
 लिया जाये...
बोल जचा बोल (देरानी,
 नंनद, के नाम लेना)
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खिलौने वाला:
बहार खिलौने वाला आया है,
 सांवरिया खिलौना कोई ले
 लेना ,
अभी तो सोया मेरा मुन्ना
 जागेगा तब ले लेगे,
 सास को बुलाया चरवा धराय
 चरवा धराई नेग दे देना,
 अभी तो सोया मेरा
 मुन्ना......
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जच्चा :

ये परदा हटा दो, जरा मुखड़ा
 दिखा दो,
हम ललनवा के पापा है कोई
 गैर नहीं,
 मैंने मम्मी को बुलाया और
 सास चली आई 
 चरवे के मौके पे दोनों में हुई
 लड़ाई ,
जरा सास को समझा दो बस
 इतना बता दो ये ललनवा की
 नानी है,
 कोई गैर नहीं...
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लोरी:

हो आजा  री निदियाँ
 आजारी निदियाँ,
 ललना को पलना सुलाजा, चन्दन पलना रेशम की डोरी,
 ललना का झूला डाला, डनलप का गद्दा, झालर
 का तकियाँ, 
ललना को पलना सुलाय,
फिर नींद को बुलाय रे,
 मेरे ललना को हो पलना
 सुलाजा,
 ललना मेरा प्यारा सोने की है
 तैयारी,
 बनना तू ममता की लोरी कर
 इसकी रखवाली ,
तू मीठी लोरी में सुनाए जा
 कहानी रे,
 हो मेरे ललना को पलने
 सुलाजा ॥
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बधाई:

मंगल बेला घर आई,
 कि देने तुम्हें आये बधाई ,
बहू की बधाई, भवन की
 बधाई, ललन की बधाई रंग
 लाई ॥
 देने.... 
बहू हर्षावे भवन रंग छावे,
 ललन की उमर हो सवाई ॥
 कि देने... 
आन्नद बरसे प्रेम रंग उमडे,
 खुशियाँ वरणी न जाई ॥ 
कि देने....
 नभ से देव सुमन बरसावे,
 परियॉ नाचन आई ॥
 कि देने.......
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आशीष:
दोऐ डूगरां बीच बेल पसरी,
 म्हारा बीरा रे आंगण आबू
 मोरिया ,
थे तो सुनजो जी म्हारा सुगना
 हो सायब।
 ननद पड़ोसन मत राखजो वा
 तो सोई देखे राजा वोई हो
 मांगे। 
उठ संवारे म्हासे कलो करे वो
 तो थाका बैठने को सायबा
 घुड़लाजी मांगे,
 म्हारा ओढन की बाली तू तो
 गेली ऐ धन म्हारी बोल न
 जाने।
 बोलन हुई अत्र खादनी
मैं तो आमा जी सामा महल
 चीनावा,
 बीच बहन को ओवरो वे तो
 ऐवड़ छेवड़ा म्हारा कंवर
 खेले।
 झरोखे में खेले कड़ी भानजी
 म्हारा कंवरा ने देख्या म्हारो कमल खीले।
 भानजड़ा ने देख्या म्हारी मन
 हस म्हारा कंवरारी गोद
 गिदोड़ा से भरजो।
 भानजड़ा ने देस्या तील
 चावली
मैं तो दाल रांदा भात रांदा,
 करऐ मगोड्या रो रायतो,
वो तो जीमन बैठया है लो जी
 पाड़े, 
आवो म्हारी बेन परोस दो।
बाका वीराजी जीमे बाकी बेन
 परोस भावााज को हीवडी
 जले ||
 वो तो जीमचूट गादी पे
 बैठिया, 
देव म्हारी बेन आशीषड़ी।
वे तो पैर ओढ वाई ननदा हो
 चाली दे दीरा पे असीसड़ी,
 थे जो बधजे रे बीरा बड़ रे
 पीपल जे उमर बंधजे कड़वा नीम जू ॥
 वा तो जीना से धूघंट वाई री
 भावज बोली देव म्हारी ननद
 असीसड़ी।
 तू तो सात है भाभी पूत जन
 जो एक जन जो चीयड़ी ॥
थारी धीयड़ली ने परदेस
 दीजो जो चित आवे भोली
 ननइ ली।
 म्हारो यो बीरो वागा सुवाजी
 हो जो म्हारी, 
भावज हो जो जल की
 मछली। वो तो राज करे नगरी को हो राजा, 
पानी में फुलगे जल की
 मछली। 
थे तो धन-धनजी साजन
 रा छावा,
 देण्या रो मान बड़ो करियो,
थे तो धन-धनजी जी
 साजनिया री जाई,
 वंश पधायो म्हारा बाप करो, वंश बधायो न दोऐ कुल
 त्यारां, एक पीयर दूजो
 सासरो.....
 (सभी घर वालों के नाम)
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Sandhya Maheshwari
Sendhwa ~ Indore
🙏🙏🙏🙏🙏

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